नागपुर। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत विजय दशमी समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उपस्थित रहे। आरएसएस के इस कार्यक्रम में पहली महिला माउंट एवरेस्ट पर्वतारोगी संतोष यादव को मुख्य अतिथि के तौर पर न्योता दिया गया है।
इस अवसर पर अपने संबोधन में संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि मोहन भागवत ने कहा कि अगर हम खुद से रोजगार का सृजन नहीं करेंगे तो अकेली सरकार कितना रोजगार बढ़ा सकती है। रोजगार लघु उद्योगों में, सहकारिता में, कृषि में सबसे ज्यादा होता है। यह अधिकांश रूप से समाज के हाथ में है। मेरे कहने का यह मतलब नहीं है कि मैं सरकार को उसके दायित्वों से मुक्त कर रहा हूं, हमे उनपर नजर रखने की जरूरत है। मैं कहना चाहता हूं कि अगर सरकार अपना दायित्व पूरा करती है, लेकिन समाज नहीं करता है तो इसका को अर्थ नहीं है। समाज में परिवर्तन लाना होगा। कहा कि समाज में सभी के लिए मंदिर, पानी और श्मशान एक होने चाहिए। उन्होंने संघ के स्वयंसेवकों से इसके लिए प्रयास करने की अपील की। मोहन भागवत ने कहा कि ऐसे प्रयास संघ के स्वयंसेवक करेंगे तो समाज में विषमता को दूर किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि जाति के आधार पर विभेद करना अधर्म है। उन्होंने कहा कि यह धर्म के मूल से परे है।
यह घोड़ी पर चलेगा, वह घोड़ी पर नहीं चलेगा..ऐसी कुरीतियाँ समाज से समाप्त होनी चाहिए। यह काम हम सब मिलकर करेंगे, संघ के स्वयंसेवक यह काम करेंगे: डॉ मोहन भागवत जी #RSSVijayadashami2022 pic.twitter.com/rmpcNZ57it
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मोहन भागवत ने कहा कि जो सब काम मातृ शक्ति कर सकती है वह सब काम पुरुष नहीं कर सकते, इतनी उनकी शक्ति है और इसलिए उनको इस प्रकार प्रबुद्ध, सशक्त बनाना, उनका सशक्तिकरण करना और उनको काम करने की स्वतंत्रता देना और कार्यों में बराबरी की सहभागिता देना अहम है। हमे भी सोचना होगा कि 30 साल बाद काम कौन करेगा। जब देश की आबादी की उम्र 50 वर्ष होगी तो क्या वह काम कर पाएगा। यह केवल देश का प्रश्न नहीं है, हमे मातृशक्ति को भी देखना होगा। हमे एक समग्र विचार करके एक नीति बनानी पड़ती है। हमने ऐसी नीति बनाई। भारत सरकार ने नीति बनाई, 2:1 औसत संतान को लागू किया। हमने इसे इतनी अच्छी तरह से लागू किया कि दुनिया को भी यकीन नहीं हो रहा है। लेकिन इससे नीचे आना भी गलत है। बच्चों को सामाजिक प्रशिक्षण परिवार में मिलता है। लिहाजा हर उम्र के लोगों की जरूरत होती है।
People used to ask me are you a Sanghi ? This was due to my behaviour. I didn’t know what Sangh is then. It is my "prarabdha that I am today here with you." – Smt. Santosh Yadav at #RSSVijayadashami2022 pic.twitter.com/DbMENyWfs2
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