जोशीमठ मामला पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से किया इनकार,कहा-हर मामले में यहां आना जरूरी नहीं

उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित जोशीमठ में भूमि धसने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया और कहा कि जो कुछ भी महत्वपूर्ण है उसे शीर्ष अदालत में आने की जरूरत नहीं है। इस पर लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित संस्थाएं काम कर रही हैं।अब इस मामले की सुनवाई 16 जनवरी को की जाएगी।


बता दे कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा ने जोशीमठ के हालात को देखते हुए केंद्र की मोदी सरकार से जोशीमठ समस्या को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की थी और कहा था कि आदि शंकराचार्य जी की तपोभूमि जोशीमठ में मंदिरों, घरों और सड़कों में दरारें आ गईं हैं।बाजार बंद हैं, परिवार उजड़ रहे हैं, लोगों में डर है।लेकिन टीवी पर ब्रेकिंग न्यूज आती है कि ‘पीएम मोदी ने संज्ञान ले लिया है। 2010 में स्वामी ज्ञानस्वरूप सानन्द जी ने 600 MW के लोहारीनाग-पाला प्रोजेक्ट का विरोध किया।तब UPA सरकार ने प्रोजेक्ट रोक दिए।2018 में वही स्वामी ज्ञानस्वरूप जब भागीरथी नदी पर डैम के खिलाफ धरने पर बैठे तो उन्हें बलपूर्वक हटा दिया गया और उनकी मौत पीड़ादायक थी।मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट में यह चेतावनी दी गई थी कि जोशीमठ भौगोलिक रूप से एक नाजुक क्षेत्र है, यहां बड़े प्रोजेक्ट या निर्माण न किए जाएं।आने वाली कई सरकारों ने मिश्रा कमेटी की इस रिपोर्ट का पालन किया।लेकिन मोदी सरकार ने मिश्रा कमेटी का नाम तक नहीं सुना होगा।केंद्र की मोदी सरकार को जोशीमठ समस्या को राष्ट्रीय आपदा घोषित करना चाहिए।गौरतलब है कि उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने की घटनाओं ने लोगों के अंदर डर पैदा कर दिया है।इस घटना के बाद चमोली प्रशासन हरकत में आ गया है और जिला प्रशासन और SDRF की टीमों ने असुरक्षित घरों की पहचान कर उनमें रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने का काम कर रहे है।