नई दिल्ली। नॉर्थ और नॉर्थवेस्ट दिल्ली की लगभग 90 लाख की आबादी को बिजली आपूर्ति करने वाली अग्रणी पावर यूटिलिटी टाटा पावर-डीडीएल उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण बिजली उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। कंपनी बिजली चोरी की समस्या से निपटने के लिए भी लगातार प्रयासरत है, क्योंकि इससे न केवल डिस्कॉम को तकनीकी और वाणिज्यिक नुकसान होता है, बल्कि उपभोक्ताओं पर भी अतिरिक्त शुल्क का बोझ पड़ता है।
बिजली चोरी में पकड़े गए आरोपी
टाटा पावर-डीडीएल ने समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए प्रह्लादपुर गांव में निरीक्षण किया, जहां कई लोग बिजली चोरी करते पाए गए। इन आरोपियों के खिलाफ भारतीय विद्युत अधिनियम की धारा 135 और भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत शाहबाद डेयरी पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की गई।
अदालत का फैसला
इस मामले की सुनवाई रोहिणी स्थित विशेष अदालत के न्यायाधीश श्री प्रशांत कुमार ने की। उन्होंने जगबीर डागर और जगफूल को दोषी करार देते हुए भारतीय विद्युत अधिनियम और आईपीसी की धाराओं के तहत सजा सुनाई। दोषियों पर निम्नलिखित आरोप साबित हुए:
धारा 135 – बिजली चोरी
धारा 341 – अवैध रूप से रास्ता रोकना
धारा 186 – लोक सेवक के कार्य में बाधा डालना
धारा 353 – लोक सेवक पर हमला
धारा 509 – महिला की गरिमा का अपमान
धारा 34 – संयुक्त आपराधिक जिम्मेदारी
टाटा पावर-डीडीएल का बयान
टाटा पावर-डीडीएल के मुख्य वाणिज्यिक अधिकारी ने कहा, “हम बिजली चोरी रोकने और जनता में जागरूकता लाने के लिए सभी कानूनी उपायों का उपयोग कर रहे हैं। अदालत द्वारा दोषियों को सजा दिया जाना एक स्पष्ट संदेश है कि राष्ट्र के संसाधनों की चोरी या दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
इस फैसले से बिजली चोरी के खिलाफ कड़ा संदेश गया है और यह दर्शाता है कि कानून ऐसे मामलों में सख्ती से कार्रवाई कर रहा है।