लोगों के मन में है सवाल, वाकई यमुना नदी में अमोनिया नाइट्रोजन पर लग जाएगी रोक ?

नई दिल्ली। जो लोग दिल्ली एनसीआर में रहते हैं, उन्हें यह अच्छी तरह से पता है कि यहां यमुना कितनी गंदी है। दिल्ली में प्रवेश के साथ ही यमुना प्रदूषण की शिकार होती है। बीते दशक में कई योजनाएं बनीं। पैसा पानी की तरह बहाया गया, लेकिन यमुना साफ नहीं हुईं। अब एक बार फिर केंद्र और राज्य स्तर की संस्थाएं इसको साफ करने के लिए कमर कस रही हैं। इस संबंध में बैठक भी हुई है। बैठक के बाद कहा जा रहा है कि यमुना नदी में अमोनिया नाइट्रोजन पर रोक लग जाएगी।

बता दें कि हाल ही में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने यमुना नदी में बार-बार अमोनिया नाइट्रोजन में बढ़ोतरी के मुद्दे और अल्पकालिक व दीर्घकालिक सुधारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति , हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड , दिल्ली जल बोर्ड , सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग, हरियाणा और सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग, दिल्ली के अधिकारियों के साथ बैठक की गई। प्राप्त जानकारी के अनुसार, इन सभी ने मिलकर एक संयुक्त निगरानी समूह के गठन पर सहमति जताई है। इस समूह को उपाय सुझाने और एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा गया है।

बैठक के दौरान विभागीय अधिकारियों और विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि हरियाणा के नदी किनारे के शहरों से बिना शोधित किए दूषित जल का उत्सर्जन, औद्योगिक इकाइयों, सामान्य अपशिष्ट शोधन संयंत्रों (सीईटीपी) और सीवेज शोधन संयंत्रों (एसटीपी) से उत्सर्जन किया जाता है। साथ ही कहा गया कि बाहरी दिल्ली में टैंकरों के माध्यम से बिना सीवर वाली कॉलोनियों से सीवेज का अवैध उत्सर्जन, यमुना नदी के प्रवाह में कमी और नदी के तल पर जमा कीचड़ का अवायवीय अपघटन की इसकी प्रमुख संभावित वजह हो सकती हैं। सभी को इसके लिए कारगर कदम उठाने होंगे।

विभागीय अधिकारियों ने कहा कि इस बैठक में अध्ययन करने वाले समूह में दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी), हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति, सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग, हरियाणा, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग, दिल्ली को शामिल किया गया है। यह समूह निगरानी व्यवस्था की एक समान समीक्षा और निगरानी तंत्र को मजबूत बनाने की आवश्यकता, पुराने आंकड़ों के विश्लेषण और प्रमुख स्थलों के साथ साथ ज्यादा अमोनिया के स्तर की अवधि की पहचान के लिए क्षेत्रीय सर्वेक्षण का काम करेगा।