नई दिल्ली। एक अच्छे नाटक का मंचन न केवल मन मोह लेता है, बल्कि अपने पीछे एक बड़ा संदेश भी छोड़ जाता है। सुप्रसिद्ध निर्देशक माया नन्द झा द्वारा निर्देशित और मैथिली के शेक्सपियर श्री महेन्द्र मलंगिया लिखित नाटक गोनूक गवाह भी कुछ ऐसा ही है। इस नाटक में लेखक ने गोनू झा के चतुराई को बड़ी बारीकी से पेश कर असली चोर को पकड़ने और उसे समाज के सामने बेनकाब करने का प्रयास किया है। रंग ठिया के द्वारा देश की राजधानी दिल्ली के मुक्तधारा सभागार, भाई वीर सिंह मार्ग, गोल मार्केट, दिल्ली में आयोजित इस नाटक ने दर्शकों की खूब वाहवाही बटोरी। गोनूक गवाह नाटक के माध्यम से नाटककार श्री महेन्द्र मलंगिया भी गोनू झा के जीवन में एक घटित चर्चित प्रसंग को नाटक का स्वरूप दिया है। नाटक में गोनू झा के घर पर एक रात कई चोर घुस जाता है और उन चोरों को पकड़ने के लिए गोनू झा किस प्रकार का स्वांग रचते है यह बड़े ही रोचक ढ़ंग से इस घटना का नाटक में सजीव मंचन किया। ज्ञात हो गोनू झा एक प्रत्युपन्नामती चरित्र और 13वीं शताब्दी में मिथिला के राजा हरि सिंह के समकालीन थे। गोनू झा का जन्म 14वीं शताब्दी में दरभंगा, बिहार के भरवारा गाँव में हुआ था। उन्हें बिहार के बीरबल के नाम से भी जाना जाता है, उनके बारे में कई किद्वान्तिया है। वे चुटकियों में समस्याओं को सुलझा देते थे।चतुराई और बुद्धिमता के प्रतीक गोनू झा समाज के हर तबके मे लोकप्रिय थे और वर्तमान समय में भी उनके किए करिश्माई कारनामों और कहानियों को मिथिला, बिहार के घर घर सुनाया जाता है।
इस नाटक मे गोनू झा की भूमिका मे मुकेश झा ने अपने चरित्र के साथ बखूबी न्याय किया, वहीं बसुआ की भूमिका मे संतोष झा को दर्शकों ने खूब सराहा। गोनू झा की स्त्री की भूमिका मे पूनम सिंह ने अपनी बेहतरीन अभिनय क्षमता का मिशाल पेश किया। मुसाई झा के कुटिल चरित्र को अमित झा ने मंच पर सजीव किया। लुचाई के चरित्र में तरूण झा ने बेहतर अभियन किया। ठिठर के भूमिका मे निर्भय कर्तव्य ने न्यायपूर्वक चरित्र को जीवन्त किया। मंच पर अन्य भूमिका में धर्मवीर चौधरी, सौरभ रायए जय प्रकाश चौधरी, राजेश कुमार बेनी व दीपक ठाकुर ने भी अपने अभिनय क्षमता से दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। नाटक मे वस्त्र परिकल्पना निर्भय कर्तव्य ने किया तो पाश्र्व संगीत शुभम ने किया और प्रकाश परिकल्पना पिन्टू झा प्रेम का था। मंच सामग्री भास्कर झा के द्वारा किया गया। मंच सज्जा सुरभि मिश्रा ने किया। इस नाटक का परिकल्पना एवं निर्देशन माया नन्द झा ने किया। प्रस्तुति रंग ठिया की थी।