वैक्सीन पर हो रही है खूब राजनीति, ट्विटर पर छिड़ी बहस

नई दिल्ली। बीते साल जब कोरोना वायरस चीन के वुहान से अपनी यात्रा पर चला होगा, तब उसे नहीं पता था कि वैक्सीन के आते-आते उसे पाॅलिटिकल पार्टी बनना होगा। लेकिन, उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने उसे बीजेपी का बना दिया। भारत में वैक्सीन आने की जब औपचारिक घोषणा हुई, तो अखिलेश की राह पर कांग्रेस के दिग्गज नेता जयराम रमेश और शशि थरूर भी दिखे। वे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाॅ हर्षवर्धन से वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर सवाल करने लगे ?
शनिवार को सपा नेता अखिलेश यादव ने कहा कि मैं तो नहीं लगवाऊंगा ये वैक्सीन। बीजेपी लगाएगी वैक्सीन, तो उसका भरोसा क्यों करूंगा मैं? अरे जाओ भाई। अपनी सरकार आयेगी, तो सबको फ्री वैक्सीन लगेगी। हम बीजेपी का वैक्सीन नहीं लगवा सकते।
इस बयान के बाद उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि अखिलेश यादव जी को वैक्सीन पर भरोसा नहीं है और उत्तर प्रदेश वासियों को अखिलेश यादव पर भरोसा नहीं है। अखिलेश जी का वैक्सीन पर सवाल उठाना, हमारे देश के चिकित्सकों एवं वैज्ञानिकों का अपमान है, जिसके लिए उन्हें माफी माननी चाहिए।
भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि समाजवादी पार्टी के लोग जिस तरह बोल रहे हैं, वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। अखिलेश यादव को देश से माफी मांगनी चाहिए। देश इस पर सपा को क्षमा नहीं करेगा। मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी कहा कि अब इनको तो कोई भटका हुआ नौजवान नहीं कह सकता है, ये तुष्टीकरण की नीति है। वैक्सीन के बारे में जो भ्रम फैलाया जा रहा है, यह अच्छी सोच नहीं है।
इतना ही नहीं, समाजवादी पार्टी के एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने कहा था कि कोरोना वैक्सीन में कुछ तो ऐसा है, जो लोगों को नुकसान पहुंचा सकता है। ये भी संभव है कि इस वैक्सीन को लगवाने के बाद लोग नपुंसक हो जाएं।
इसके जवाब में डीसीजीआई के डायरेक्टर वीजी सोमानी ने कहा कि हम ऐसी किसी चीज को मंजूरी नहीं देंगे, जिसमें सुरक्षा को लेकर थोड़ी भी चिंता हो। वैक्सीन 110 प्रतिशत सुरक्षित हैं। उन्होंने वैक्सीन के इस्तेमाल से नपुंसक होने के सवाल पर कहा कि यह पूरी तरह से बकवास है।
रविवार को ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया द्वारा कोरोना वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिलने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश और शशि थरूर ने ट्वीट कर कहा कि कोवैक्सीन का अभी तक चरण तीसरे चरण का परीक्षण नहीं हुआ है। समय से पहले मंजूरी देना खतरनाक हो सकता है। डॉ. हर्षवर्धन, आपको इसको स्पष्ट करना चाहिए। परीक्षण पूरा होने होने तक इसके उपयोग से बचा जाना चाहिए। भारत में इस बीच एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा सकता है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डाॅ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि एक वैक्सीन अध्ययन के कई चरणों से होकर गुजरती है, ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि ये सुरक्षित है। कई स्तरों पर सुरक्षा को देखा जाता है। इसलिए मुझे नहीं लगता कि हमें वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर चिंता करनी चाहिए। स्वयं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाॅ हर्षवर्धन ने भी कहा है कि जो आंतरिक डाटा मिला हमें है, वह यह बताने के लिए पर्याप्त है कि यह वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है।