VHP Said : मंदिरों के सरकारी चंगुल से मुक्ति व धर्मांतरण पर रोक का संकल्प स्वागत योग्य

विहिप ने स्वागत किया है कि अब मंदिरों में किसी की संपत्ति के दुरूपयोग, अश्रद्धावान लोगों, भृष्ट नौकरशाहों तथा राजनेताओं द्वारा मंदिरों के प्रबंधन में घुसपैठ आदि पर रोक लगेगा। विहिप केंद्रीय महासचिव मिलिंद परांडे ने कहा कि मंदिरों के आध्यात्मिक वातावरण को दूषित करने के षडयन्त्र जग-जाहिर है।

नई दिल्ली। विश्व हिन्दू परिषद (VHP) ने मंदिरों को सरकारी अधिग्रहण तथा अवैध धर्मांतरण से मुक्ति के भारतीय जनता पार्टी के तमिलनाडू चुनाव संकल्प पत्र का स्वागत करते हुए आज मांग की है कि देश-भर के सभी मंदिरों को इस विभीषिका से मुक्त कराया जाए। विश्व हिन्दू परिषद (VHP) के केन्द्रीय महा-मंत्री मिलिंद परांडे (Milind Parande) ने आज कहा कि मंदिरों का संचालन करना अथवा उनके धन या प्रबंध में हस्तक्षेप करना किसी सरकार का कार्य नहीं है। साथ ही छल-कपट लोभ-लालच, प्रलोभन या बलपूर्वक बलात् धर्मांतरण भी एक अमानवीय दुष्कृत्य है। यह एक प्रकार की हिंसा है जिसमें समाज को अपनी जड़ों से तोडा जाता है। अब समय आ गया है कि सभी राज्य सरकारें तथा भारत के सभी राजनैतिक दल मिल कर शीघ्रातिशीघ्र मठ-मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर हिन्दू समाज के विरुद्ध दशकों से चले आ रहे इस अन्याय पर पूर्ण विराम लगाएं तथा अवैद्य धर्मांतरण के विरुद्ध देशव्यापी कठोर कानून बनाएं।

तमिलनाडू के अतिरिक्त केरल, आंध्र प्रदेश व तेलंगाना जैसे अनेक राज्यों में भी हिन्दू समाज में इसके कारण गहरा रोष व्याप्त है। राज्य सरकारों द्वारा मंदिरों की संपत्ति के दुरूपयोग, अश्रद्धावान लोगों, भृष्ट नौकरशाहों तथा राजनेताओं द्वारा मंदिरों के प्रबंधन में घुसपैठ, अहिंदु कार्यों के लिए भगवान के चढ़ावे का दुरुपयोग किसी से छुपा नहीं है। इसके कारण मंदिरों की पवित्रता तथा वहाँ के आध्यात्मिक वातावरण को दूषित करने के षडयन्त्र जग-जाहिर हैं।

मिलिंद परांडे (Milind Parande) ने यह भी कहा कि मंदिरों (Temple) के अधिग्रहण व कुप्रबंधन के चलते हिन्दू समाज को संविधान प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता व पूजा के अधिकार से दशकों से बँचित रखा गया। अब मंदिरों को मुक्ति तथा धर्मांतरण के विरुद्ध सभी राज्यों में कठोर कानून लाना ही होगा।