सौरव गांगुली और जय शाह के लिए क्यों खास है 23 मार्च ?

बीसीसीआई ने एक अर्जी दाखिल कर मांग की है कि इसके नए संविधान में संशोधन की इजाजत दी जाए ताकि इसके प्रशासकों को तीन साल के कूलिंग ऑफ पीरियड के प्रावधान को खत्म किया जाए।

नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट के लिए 23 मार्च का दिन अब खास हो गया है। इस दिन देश की सर्वोच्च अदालत में एक सुनवाई होनी है और वह तय करेगा कि बीसीसीआई के मुखिया को लेकर अहम निर्णय ले सकती है। इनका कार्यकाल रहेगा या नहीं, इस पर फैसला होगा।

बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह के कार्यकाल को बढ़ाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट अब 23 मार्च को सुनवाई करेगा। मंगलवार को सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई टालने की मांग की, जिसके बाद जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच ने 23 मार्च तक सुनवाई टाल दी।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 20 जनवरी को भी सुनवाई टाल दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 9 दिसंबर, 2020 को कहा था कि अब बीसीसीआई से जुड़े मामले किसी भी कोर्ट में दाखिल हो सकते हैं। बीसीसीआई ने एक अर्जी दाखिल कर मांग की है कि इसके नए संविधान में संशोधन की इजाजत दी जाए ताकि इसके प्रशासकों को तीन साल के कूलिंग ऑफ पीरियड के प्रावधान को खत्म किया जाए। जस्टिस आरएम लोढ़ा कमेटी ने अपनी अनुशंसाओं में तीन साल के कूलिंग ऑफ पीरियड की अनुशंसा की थी।

राजनीतिक गलियारे में भी इसको लेकर बात हो रही है। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट इन दोनों के कार्यकाल को आगे बढा देगी। इसके पीछे कारण यह माना जा रहा है कि सौरव गांगुली के नाम का भाजपा पश्चिम बंगाल के आगामी विधानसभा चुनाव में लेने की कोशिश करेगी। वहीं, जय शाह स्वयं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बेटे हैं।