नई दिल्ली। विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ‘इंडिया’ की पार्टियों ने रविवार को दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान से केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के ऊपर जबरदस्त साझा हमला किया। विपक्ष के नेताओं ने लोकतंत्र का गला घोंटने, विपक्षी पार्टियों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के आरोपियों को भाजपा में शामिल करके उनको बेदाग बनाने का मुद्दा उठा कर सरकार और भाजपा पर हमला किया। कांग्रेस नेताओं ने पार्टी का बैंक खाता सीज करने का मुद्दा उठाया तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता ने उनका संदेश पढ़ कर सुनाया।
विपक्षी गठबंधन के नेताओं ने इस ‘महारैली’ में अपनी पांच मांगें भी सामने रखीं। विपक्ष की पहली मांग थी कि चुनाव आयोग को सभी पार्टियों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना चाहिए। दूसरी मांग है कि चुनाव आयोग को विपक्षी पार्टियों के खिलाफ हो रहे केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग को रोकना चाहिए। तीसरी मांग है कि हेमंत सोरेन और अरविंद केजरीवाल को तत्काल रिहा किया जाए।
चौथी मांग, विपक्षी पार्टियों को वित्तीय रूप से कमजोर करने की कोशिश बंद हो और पांचवीं मांग, भाजपा को चुनावी बॉन्ड के जरिए जो चंदा मिला है उसकी एसआईटी बना कर जांच हो। विपक्ष की ओर से प्रियंका गांधी वाड्रा ने ये मांगें रखीं।
बहरहाल, विपक्ष ने इस रैली को लोकतंत्र बचाओ महारैली का नाम दिया था। इसमें विपक्ष की 27 पार्टियों के नेता शामिल हुए। गठबंधन में शामिल सभी पार्टियों के शीर्ष नेताओं ने रैली में हिस्सा लिया। इतना ही नहीं गठबंधन से अलग होकर लड़ रहीं ममता बनर्जी ने भी अपने सांसद डेरेक ओ ब्रायन को रैली में भेजा था। विपक्ष की इस रैली में सोनिया गांधी भी शामिल हुईं।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, उद्धव ठाकरे, शरद पवार, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, चम्पई सोरेन, भगवंत मान, सीताराम येचुरी, फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती आदि नेताओं ने इसमें हिस्सा लिया। जेल में बंद अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल और हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन भी रैली में शामिल हुईं। प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी रैली में हिस्सा लिया। यह रैली करीब तीन घंटे तक चली, जिसमें गठबंधन के 21 नेताओं ने सभा को संबोधित किया। रैली में भाषण की शुरुआत उद्धव ठाकरे ने की और उन्होंने भाजपा के अबकी बार चार सौ पार के नारे पर सवाल उठाते हुए एक नया नारा दिया। उन्होंने कहा ‘अबकी बार भाजपा तड़ीपार’।
लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया जारी हो, इसी बीच किसी राज्य के मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी हो और उस पर राजनीति ना हो, ऐसा संभव ही नहीं है। दिल्ली के कथित आबकारी घोटाले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और भारत राष्ट्र समिति की नेता के कविता को प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने गिरफ्तार किया है। ईडी का दावा है कि इन गिरफ्तारियों के पीछे कोई राजनीति नहीं है। लेकिन राजनीति और लोक का एक बड़ा हिस्सा ऐसा है, जो इन गिरफ्तारियों के पीछे राजनीति देख रहा है। मोदी विरोधी आईएनडीआईए गठबंधन में चूंकि केजरीवाल भी शामिल हैं, लिहाजा गठबंधन के नेता इन गिरफ्तारियों को सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक बताने-बनाने में जुट गए हैं। उनका एक ही सवाल है कि आखिर सिर्फ विपक्षी नेताओं को ही ईडी या सीबीआई निशाना क्यों बना रहे हैं? बार-बार ऐसा कहकर एक तरह से मोदी विरोधी मोर्चे के नेताओं की कोशिश यह है कि इन गिरफ्तारियों को भ्रष्टाचार की बजाय सिर्फ राजनीति का रंग दिया जाए और इसके जरिए मोदी विरोधी वोटों की फसल काट ली जाये।