नई दिल्ली। भारत और अमेरिका का संबंध हाल के दशकों में नया विस्तार पाता रहा है। ऐसे में जब अमेरिका में सत्ता परिवर्तन हुआ है, तो हर भारतीय के मन में यह सवाल उठ रहा है कि अब नए माहौल में इस सबंधों में गरमाहट बरकरार रहेगी या कुछ और होगा? वैसे, पूर्व राजनयिकों एवं सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक एवं रक्षा सहयोग के वृहद पथ को चीन के कारण पैदा हो रही चुनौतियों के मद्देनजर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल में और विस्तार मिल सकता है।
असल में, अमेरिका में प्नरचलित परंपरा के अनुसार नवनिर्वाचित राष्ट्रपति की व्हाइट हाउस में पहले निवर्तमान राष्ट्रपति द्वारा अगवानी की जाती थी फिर शपथग्रहण समारोह संपन्न होने के पश्चात नवनिर्वाचित राष्ट्रपति निवर्तमान राष्ट्रपति को विदाई देने हेतु व्हाइट हाउस के बाहर तक आते थे परंतु पराजित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उस शालीन परंपरा का निर्वाह न करते हुए बेआबरू होकर व्हाइट हाउस छोड़ने का रास्ता चुन लिया जो केवल उनकी पराजय से उपजी कुंठा का परिचायक था।
ट्रंप तो शपथग्रहण के लिए जो बाइडेन के व्हाइट हाउस पहुंचने के पहले ही वहां से चले गए।
अमेरिका के इतिहास में डोनाल्ड ट्रंप पहले ऐसे निवर्तमान राष्ट्रपति बन गए जिन्होंने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के शपथग्रहण समारोह में भाग लेने की शालीनता प्रदर्शित नहीं की। उन्हें विदा करने के लिए व्हाइट हाउस के केवल उतने अधिकारी मौजूद थे जिनके लिए प्रोटोकाल के तहत वहां अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराना एक मजबूरी थी। डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका सेना द्वारा निवर्तमान राष्ट्रपतियों को परंपरा गत रूप से दी जाने वाली विदाई के पात्र भी नहीं बन सके ।
अमेरिका में 2015-16 में भारत के दूत रहे पूर्व राजनयिक अरुण सिंह ने कहा कि चीन के कारण भारत जिन चुनौतियों का सामना कर रहा है और इस साम्यवादी देश के आर्थिक, प्रौद्योगिकी एवं सैन्य विकास के कारण अमेरिका के सामने जो खतरा पैदा हो रहा है, उनके कारण दोनों देशों (भारत एवं अमेरिका) के मिलकर काम करने की और अधिक संभावनाएं हैं।
जो बाइडेन ने कहा है कि वे पूरे देश के राष्ट्रपति हैं। यह जीत एक प्रत्याशी की नहीं है यह पूरे लोकतंत्र की जीत है।जो बाइडेन के पहले भाषण के आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि अनेक मसलों पर वे पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियों को बढ़ाने से परहेज़ करेंगे। जो बाइडेन यद्यपि 78 साल के उम्रदराज राष्ट्रपति हैं परंतु उनके भाषण से ऐसा प्रतिध्वनित होता है कि वे यथास्थितिवादी नहीं हैं। अमेरिका की नई उपराष्ट्रपति कमला हैरिस उनसे लगभग बीस वर्ष छोटी हैं।जो बाइडेन ने अपनी टीम में युवाओं को भी शामिल किया है। अमेरिका के नए राष्ट्रपति ने स्पष्ट कर दिया है कि देश में अश्वेत आबादी को हेय दृष्टि से नहीं देखा जाएगा। उनके कार्यकाल में अश्वेत आबादी को भी वही सम्मान प्रदान किया जाएगा जो श्वेत आबादी को मिलता आया है।जो बाइडेन ने अपने भाषण में जिस तरह भारतवंशी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का उल्लेख करते हुए कहा कि वे अमेरिका में बदलाव का ताजा उदाहरण हैं उससे यह संकेत मिल था है कि जो बाइडेन ने देश में नए युग की शुरुआत करने की इच्छा के साथ राष्ट्रपति की कुर्सी संभाली है और यह उम्मीद की जा सकती है कि उनके कार्यकाल भारत- अमेरिका संबंधों को और मजबूती मिलेगी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के भारत के दावे को वे कितना समर्थन प्रदान करते हैं यह हमारे लिए सबसे बड़ी उत्सुकता का विषय होगा।