क्या भाजपा शुरू करेगी मिशन झारखंड, सीएम हेमंत सोरेन को है सत्ता जाने का डर

सियासी संकेत मिल रहे हैं कि झारखंड सरकार पर संकट है। कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह के भाजपा में आने के बाद से ही सरकार पर संकट के बादल छाए हैं। रांची से लेकर दिल्ली के सियासी गलियारों में कई प्रकार की चर्चा तेज हो रही है। अब तो स्वयं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी विधानसभा के पटल पर अपनी सरकार को अस्थिर करने का आरोप भाजपा पर लगा रहे हैं।

रांची/नई दिल्ली। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव खत्म हो चुके हैं। चार राज्यों में भाजपा की सरकार बन चुकी है। इस साल अब किसी राज्य में विधानसभा चुनाव नहीं है। ऐसे में चर्चा जोरों पर है कि भाजपा झारखंड में हेमंत सरकार को अस्थिर कर सकती है। हालांकि, इसकी चर्चा उस समय भी शुरू हुई थी जब कांग्रेस के नेता आरपीएन सिंह ने भाजपा का दामन थामा था। अब झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी कहा है कि भाजपा उनकी सरकार को अस्थिर करना चाहती है और उसके लिए प्रोपगंडा चला रही है। हेमंत सोरेन ने कहा है कि भाजपा उनकी सरकार गिराने की साजिश रच रही है और इसके लिए सोशल मीडिया व न्यूज चैनलों के जरिए झूठी खबरें फैला रही है।

बुधवार को झारखंड विधानसभा में अपने करीब 1.5 घंटे लंबे भाषण में हेमंत सोरेने ने कहा, ‘हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया आउटलेट से झूठ बोलते हुए दावा किया कि देश के सभी राज्यों को बिना किसी खर्च के आयुष्मान भारत योजना का लाभ दिया जा रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि राज्यों को इस योजना का 40 प्रतिशत खर्च खुद देना पड़ता है।’

हेमंत सोरेन ने आगे कहा, ‘भाजपा खनन लूट जैसे झूठे प्रचार के जरिए राज्य की चुनी हुई सरकार को गिराना चाहती है। जबकि, सच्चाई यह है कि मौजूदा वित्त वर्ष खत्म होने से पहले ही खनन के जरिए आने वाला राजस्व 6059 करोड़ रुपए को पार कर गया है। इससे पहले यही राजस्व 4,000 करोड़ रुपए से 6,000 करोड़ रुपये के बीच था। राज्य सरकार लोगों के हित में काम कर रही है और प्रदेश की जनता को 100 यूनिट की खपत तक मुफ्त बिजली दी जाएगी।’

बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने खास लोगों को दिल्ली को मैनेज करने के लिए मिशन पर लगा चुके हैं। उनकी पूरी कोशिश है कि यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा करे। झारखंड मुक्ति मोर्चा के रणनीतिकारों की परेशानी बढ़ गई है। राज्य के सियासी गणित को साधे रखना मुश्किल हो रहा है। कांग्रेस के कई विधायक अभी भी आरपीएन सिंह के प्रभाव में बताए जाते हैं। ऐसे में यदि कांग्रेस के कुछ विधायक वर्तमान सरकार से बाहर आते हैं, तो हेमंत सरकार अल्पमत में आ सकती है।