नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी देने के बाद नारी शक्ति वंदन अधिनियम भारत में कानून बन गया। राष्ट्रपति मुर्मू की सहमति मिलने के बाद भारत सरकार ने शुक्रवार को महिला आरक्षण विधेयक के लिए एक गजट अधिसूचना जारी की। अब इसके अधिनियम बन जाने से लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। हालांकि आरक्षण नई जनगणना और परिसीमन के बाद लागू किया जाएगा।
संसद के एक विशेष सत्र में, महिला आरक्षण विधेयक को इस महीने लोकसभा और राज्यसभा द्वारा पारित किया गया, जिससे यह भारतीय संसद द्वारा एक ऐतिहासिक उपलब्धि बन गई क्योंकि इसने 19 सितंबर को अपना संचालन नए संसद भवन में स्थानांतरित कर दिया। केवल एआईएमआईएम ने महिला आरक्षण विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि इससे केवल सवर्ण महिलाओं का उत्थान होगा क्योंकि मुस्लिम महिला प्रतिनिधियों के लिए कोई आरक्षण नहीं है। कांग्रेस ने भी ओबीसी आरक्षण की मांग की और संसद में इसके पारित होने और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद भी इसे लागू होने में लगने वाले लंबे समय पर सवाल उठाया।
नारी शक्ति वंदन अधिनियम लागू होने के बाद लोकसभा की 543 सीटों में से 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। यह आरक्षण 15 साल तक रहेगा। इसके बाद संसद चाहे तो इसकी अवधि बढ़ा सकती है। आरक्षण सीधे चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए लागू होगा। यानी राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषद दायरे में नहीं आएंगी।
महिला आरक्षण में ओबीसी कोटा के सवाल के कारण विधेयक बीते 28 साल से लटका हुआ था। सामाजिक न्याय की राजनीति से जुड़े क्षेत्रीय दल कोटा के बिना इस विधेयक की राह में रोड़ा बने हुए थे। हालांकि मोदी सरकार ने भी सांविधानिक कारणों का हवाला देते हुए कानून में ओबीसी कोटा का प्रावधान नहीं किया