इंद्रप्रस्थ संजीवनी के प्रति 50 हजार दिल्ली वासियों ने जताया विश्वास

गंगाजल बांटने में रचा इतिहास, अब तक 8 लाख गंगाजल की बोतलें नि:शुल्क बांट चुके हैं

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में पिछले 15 वर्षों से समाजसेवा में जुटी संस्था इन्द्रप्रस्थ संजीवनी से जुड़ने वाले लोगों की संख्या आज 50 हजार पार कर गई। इस उपलब्धि को मीडिया से साझा करते हुए संस्था के अध्यक्ष डॉ. संजीव अरोड़ा गंगापुत्र ने कहा कि यह वर्षों की कड़ी मेहनत का नतीजा है। हमारा मकसद सिर्फ समाजसेवा है, तभी इतने लोग हमसे जुड़े हैं। वर्ष 2007 में हमने और रश्मि मल्होत्रा ने मिलकर यह यात्रा शुरू की थी और आज की तारीख में हम वह काम कर रहे हैं जो एक जनप्रतिनिधि करते हैं। अंतर सिर्फ इतना है कि उन्हें जनता सीधे चुनती है, हमें नहीं। जब जनता हमें मौका देगी, तब हम ज्यादा अच्छे ढंग से जनता की सेवा कर पाएंगे। प्रेस कांफ्रेंस में सदस्यता फार्म दिखाते हुए डॉ. अरोड़ा ने कहा कि इन स्वयंसेवियों के बूते हमने पूरी दिल्ली में अब तक हजारों हेल्थ कैंप लगाए, बुजुर्गों, दिव्यांगों, तिहाड़ जेल के कैदियों के लिए जरूरी हेल्थ-सुविधाएं मुहैया कराई हैं। इसमें उनके फ्री हेल्थ चेकअप के अलावा, फ्री चश्मा, व्हीलचेयर, दवा आदि शामिल हैं। एक तरह से देखें तो हमारे द्वारा दी गई सेवाओं के तकरीबन 10 लाख लाभार्थी हैं पूरी दिल्ली में। इसमें 8 लाख लोगों को तो हम गंगाजल देकर उनसे गंगा स्वच्छता की शपथ दिलवा चुके हैं। कोरोना काल में हमने लाखों लोगों को फ्री सैनिटाइजर, मास्क देने के अलावा हजारों की संख्या में लोगों के लिए स्वरोजगार के साधन मुहैया कराए। हम भारत सरकार की प्रमुख योजनाओं स्वच्छता अभियान एवं नमामि गंगे के प्रति तो जागरुकता फैलाने में काफी आगे रहे ही हैं, साथ ही भारत निर्वाचन आयोग, तिहाड़ जेल, दिल्ली पुलिस एवं डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के साथ मिलकर समाजसेवा कर रहे हैं।
समाजसेवा ही करनी है तो जनप्रतिनिधि क्यों नहीं बन जाते, इस पर डॉ. अरोड़ा ने कहा कि जनता का आशीर्वाद और आदेश होने पर जरूर ऐसा करेंगे, लेकिन इतना तो सच है ही कि जनप्रतिनिधि अपनी पावर से ज्यादा लोगों की मदद कर पाते हैं, जबकि एक एनजीओ के रूप में हमें समाजसेवा के लिए कई मंजूरियां लेनी होती हैं। ऐसे हमारा अगला लक्ष्य यही है कि हम कम-से-कम एक लाख लोगों को इन्द्रप्रस्थ संजीवनी से जोड़ पाएं, ताकि और बेहतर ढंग से समाजसेवा कर पाएं।