मुगल शासन के अंतिम काल में मानवीय मूल्यों की पड़ताल करता नाटक है सीढ़ियां

नई दिल्ली। कोरोना का असर जैसे-जैसे घटता जा रहा है, जिंदगी पटरी पर आती दिख रही है। इसका अंदाजा इससे लगता है कि थियेटर खुल रहे हैं और दर्शक भी इसको लेकर उत्साहित हैं। इसी परिप्रेक्ष्य में संस्कृति मंत्रालय के वित्तीय सहयोग से दिशा ग्रुप ऑफ विजुअल एंड परफॉर्मिंग आर्ट्स आगामी रविवार को शाम छह बजे से गाजियाबाद के लोहिया नगर स्थित हिन्दी भवन के दिनेश चंद गर्ग सभागार में ऐतिहासिक नाटक सीढ़ियां की मंचन कर रही है। दया प्रकाश सिन्हा द्वारा लिखित इस नाटक के निर्देशक हैं अरविंद सिंह जबकि सहायक निर्देशक हैं ऐनी भारद्वाज। प्रस्तुति संयोजन का जिम्मा उठा रहे हैं खुद डॉ. सत्यप्रकाश, जो विकट परिस्थिति में भी इस तरह की सांस्कृतिक गतिविधियां आयोजित करने का रास्ता ढूंढ़ ही लेते हैं। इस कोरोना काल में दिल्ली में नाटक के लिए थियेटर नहीं मिल रहे थे, तो उन्होंने गाजियाबाद का रुख किया। नाटक में संगीत दिया है प्रसून्न नारायण श्रीवास्तव एवं प्रकाश परिकल्पना राघव प्रकाश की है। इसमें कलात्मक सलाहकार हैं जे पी सिंह। गौरतलब है कि दिशा ग्रुप 1990 से कला-नाटक के आयोजन में महती भूमिका निभा रही है।
जहां तक इस ऐतिहासिक नाटक सीढ़ियां का सवाल है तो इसका नायक मुगल शासन के अंतिम चरण का वह कालखंड है जब साम्राज्य के बिखराव के साथ सामाजिक विघटन के बीच समाज गिरते मूल्यों का साक्षी बना। जिसमें महात्वाकांक्षा की सूली पर पवित्र मानवीय संवेगों की बलि चढ़ रही थी। एक के बाद एक। एक सीढ़ी, फिर दूसरी सीढ़ी, लेकिन यात्रा का पड़ाव वही। इसलिए नाटक का नाम है- सीढ़ियां। इसमें मोहम्मद शाह रंगीला का किरदार भूपेश जोशी, नूर बाई का किरदार रुचिका अग्रवाल, अमीरन का किरदार तृप्ति निभा रहे हैं।