न्यूयार्क। भारत और रूस की दोस्ती बहुत पुरानी और भरोसे वाली हैं। पूरी दुनिया की नजर सुरक्षा परिषद की उस बैठक को लेकर थी, जिसमें रूस के खिलाफ वोटिंग होनी थी। भारत ने अपनी दोस्ती निभाई और रूस के खिलाफ वोट नहीं डाला। संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टी एस तिरुमूर्ति ने कहा कि यूक्रेन में हाल के घटनाक्रम से भारत बहुत परेशान है। उन्होंने कहा कि, हम आग्रह करते हैं कि हिंसा और शत्रुता को तत्काल समाप्त करने के लिए सभी प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा कि मानव जीवन की कीमत पर कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शुक्रवार को यूक्रेन पर रूसी हमले को रोकने और सेना को वापस बुलाने के प्रस्ताव पर मतदान हुआ। इस दौरान रूस ने प्रस्ताव पर वीटो किया। सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों में रूस भी शामिल है वहीं भारत, चीन और यूएई ने हमले की निंदा करते हुए मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
संयुक्त राज्य अमेरिका और अल्बानिया द्वारा सह-लिखित प्रस्ताव को 15 में से 11 देशों का समर्थन मिला वहीं भारत, चीन और यूएई ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया।देश के स्थायी सदस्य के रूप में मास्को की वीटो शक्ति के कारण यह प्रस्ताव शुरू से ही सही नहीं जा रहा था। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने वोट के बाद कहा कि, मैं एक बात स्पष्ट कर दूं। रूस, आप इस प्रस्ताव को वीटो कर सकते हैं, लेकिन आप हमारी आवाज को वीटो नहीं कर सकते, आप सच्चाई को वीटो नहीं कर सकते, आप हमारे सिद्धांतों को वीटो नहीं कर सकते, आप यूक्रेनी लोगों को वीटो नहीं कर सकते।” कोई गलती न करें, रूस अलग-थलग है। संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन के राजदूत बारबरा वुडवर्ड ने कहा कि यूक्रेन पर आक्रमण के लिए इसका कोई समर्थन नहीं है।
#UkraineRussiaCrisis India has abstained from the UNSC resolution that condemned Russia's 'aggression' against Ukraine
3 countries, including India, China, UAE abstained.
11 countries voted in favour of the resolution while Russia used its veto power (to block the resolution). pic.twitter.com/UGr6PQJSgu— ANI (@ANI) February 26, 2022
संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टी एस तिरुमूर्ति ने यह भी कहा कि, हम बड़ी संख्या में भारतीय छात्रों सहित भारतीय समुदाय के कल्याण और सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित हैं। समकालीन वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतर्राष्ट्रीय कानून और राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर बनी है। सभी सदस्यों को रचनात्मक तरीके से आगे बढ़ने के लिए इन सिद्धांतों का सम्मान करने की आवश्यकता है, उन्होंने यह भी कहा कि मतभेदों और विवादों को निपटाने का एकमात्र जवाब संवाद है, हालांकि यह इस समय कठिन लग सकता है। यह खेद की बात है कि कूटनीति का रास्ता छोड़ दिया गया और हमें उस पर लौटना चाहिए। इन सभी कारणों से, भारत ने इस प्रस्ताव पर परहेज करने का विकल्प चुना है।