नई दिल्ली। आपको अपनी मन की बात करनी हो, तो कोई अपना चाहिए। बीमार हैं, तो डॉक्टर चाहिए। कभी सोचा है कि आपके पालतू पशुओं की बातों को दूर बैठा कोई व्यक्ति बड़ी ही आसानी से समझ सकता है ! पढ़ने-सुनने में जरूर जरा हैरत होगा आपको, लेकिन यह मुमकिन है। एनिमल कम्युनिकेटर इस काम को करते हैं। ऐनिमल कम्युनिकेटर यानि यानि जानवरों की भाषा समझने वाले लोग।
बीते कई वर्षों से पारुल चौधरी एक एनिमल कम्युनिकेटर, पेट साइकिक, होलिस्टिक हीलर हैं। एक पेशेवर के रूप में उनके ज्ञान के साथ उनकी गहरी करुणा और जुनून आपको अपने जानवरों के व्यवहार और चुनौतियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने में मदद करती है। पारुल बताती हैं कि जानवर अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए विभिन्न संकेत देते हैं। ये संकेत उनकी सोच से शुरू होते हैं। यह एक प्रकार की टेलीपैथी है, जानवर जो सोचता है हम उसको पढ़ लेते हैं और फिर उसे उनके पालकों को बता देते हैं। इसके लिए न तो जानवर को उनके पास लाना होता है और न ही वो जानवर के पास जाती हैं। सारा काम टेलीफोन पर ही हो जाता है। टेलीपैथी से हम जानवर की समस्या का पता लगते हैं।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मैं, एक पशु संचारक के रूप में, मानसिक स्तर पर जानवरों से जुड़ता हूँ। यह एक उपहार है जिसके साथ मैं पैदा हुआ था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, मुझे विश्वास हो गया है कि हम किसी भी व्यवसाय की तरह, एक मजबूत अंतर्ज्ञान के निर्माण और अभ्यास के साथ इन कौशलों को भी विकसित कर सकते हैं। लोगों को विश्वास तब होता है, जब घर बैठे-बैठे हम ये बता देते हैं कि आपकी बिल्ली के पैर में लाल निशान है या फिर आपका कुत्ता घर में किस कमरे में किस कोने में बैठना पसंद करता है तब लोगों को यकीन करना पड़ता है कि वास्तव में हम उनके जानवर के साथ बात कर पा रहे हैं।
पारुल कहती हैं कि एक एनिमल कम्युनिकेटर के रूप में मेरा काम मेरे जीवन का सबसे संतुष्टिदायक अनुभव रहा है। विभिन्न जानवरों के आसपास पले-बढ़े होने के कारण, मैं पालतू माता-पिता या पशु प्रेमी होने के कारण होने वाले नुकसान और अनियंत्रितता को भी जानती हूं।