नई दिल्ली। बहुत हुआ बंदिश। कोरोना ने मानो जिंदगी ही रोक दी थी। अब कोरोना का संक्रमण कम हुआ है और वैक्सीन भी उपलब्ध हो रही है। ऐसे में लोगों का आत्मविश्वास बढा है। ऐसे में यदि आप भी स्वास्थ्य मानकों का पालन करते हुए खुद को रिचार्ज करना चाहते हैं, तो दिल्ली हाट आपके स्वागत के लिए तैयार है। यहां आइए और जिंदगी के कुछ हसीन पल को बटोरिए।
असल में, इन दिनों चल रहा ट्राइब्स इंडिया आदि महोत्सव अपने पूर्व के संस्करणों से बड़ा और आकर्षक है। लगभग 200 स्टॉलों और देशभर के 1000 प्रतिभागी कारीगरों एवं कलाकारोंके साथ यह आयोजन एक छत के नीचे बसा एक लघु – भारत है। ट्राइब्स इंडिया वेबसाइट की तरह हीआदि महोत्सव भी एक वन-स्टॉप गिफ्टिंग डेस्टिनेशन है, जो विभिन्न प्रकार की जरूरतों को पूरा करता है। जैविक हल्दी, सूखा आंवला, जंगली शहद, काली मिर्च, रागी, त्रिफला जैसे प्राकृतिक और प्रतिरक्षण क्षमता बढ़ाने वाले आदिवासी उत्पादों से लेकर मूंग दाल, उड़द की दाल, सफेद बीन्स एवं दलिया जैसी मिश्रित दलहन उत्पाद और वरली शैली या पटचित्रों में बनी चित्रकला जैसी कलाकृतियों तक; डोकरा शैली में दस्तकारी किये गये आभूषणों से लेकर पूर्वोत्तर क्षेत्र के वेंचो और कोन्याक जनजातियों की मणिका से बने गले के हार तक और समृद्ध एवं आकर्षक रेशमी वस्त्रों तक; रंग-बिरंगी कठपुतलियों और बच्चों के खिलौनों से लेकर डोंगरिया शॉल और बोडो बुनाई जैसी पारंपरिक दस्तकारी तक; बस्तर के लोहे के शिल्प से लेकर बांस के शिल्प और बेंत के फर्नीचर तक; ये सभी सामान एक ही जगह पर उपलब्ध हैं।
आवश्यकताओं और बजट को देखते हुए, इन उत्पादों को गिफ्ट हैम्पर्स के रूप में पेशकिया जा सकताहै। प्रसिद्ध डिजाइनर सुश्री रीना ढाका द्वारा विशेष रूप से ट्राइब्स इंडिया के लिए डिज़ाइन किए गए और उन्नत जैविक, दोबारा उपयोग के लायक एवं टिकाऊ पैकिंग सामग्री में पैक किये गये ये उत्पाद किसी भी अवसर के लिए आदर्श उपहार हो सकते हैं।
इस महोत्सव में देश के विभिन्न हिस्सों के मडवा रोटी, लिट्टी चोखा, धूस्का, बंजारा बिरयानी, दाल बाटी और चूरमा जैसे व्यंजनों का आनंद भी लिया जा सकता है। आदि महोत्सव, जोकि जनजातीय शिल्प, संस्कृति और वाणिज्य की भावना का एक उत्सव है, नई दिल्ली के आईएनए में स्थित दिल्ली हाट में सुबह 11 बजे से लेकर रात 9 बजे तक चल रहा है। यह महोत्सव 15 फरवरी 2021 तक चलेगा।
भारत के उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने सोमवार को इस जनजातीय समारोह आदि महोत्सव का उद्घाटन किया। इस अवसर पर, श्री नायडू ने विकास के एक ऐसे मॉडल को अपनाये जाने का आह्वान किया जो आदिवासियों की विशेष पहचान को बनाए रख सके। उन्होंने कहा कि “उनकी संस्कृति ही उनकी पहचान है।” उन्होंने आदिवासियों को मुख्यधारा में शामिल करने के क्रम में इस संस्कृति को बरकरार रखे जाने की इच्छा जताई। जनजातीय हस्तशिल्प की विस्तृत श्रृंखला का उल्लेख करते हुए, उपराष्ट्रपति ने आदिवासी लोगों के उत्पादों को बढ़ावा देने तथा उन्हें लोकप्रिय बनाने और उनकी आय के स्रोतों को बेहतर करने के उद्देश्य से उनके प्राकृतिक कौशल को सही दिशा देने की जरूरत पर बल दिया।
केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा, “यह वार्षिक उत्सव देश की पारंपरिक कला एवं हस्तशिल्प और सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करता है और आदिवासी कारीगरों को बड़े बाजारों से जोड़ता है। यहांतक कि यह भारत के जनजातीयलोगों की विविधता और उनकी समृद्धि की ओर ध्यान आकर्षित करता है।”
आदि महोत्सव एक वार्षिक कार्यक्रम है, जिसे 2017 में शुरू किया गया था। यह महोत्सव देश भर के आदिवासी समुदायों की समृद्ध और विविधता से लैस शिल्प एवंसंस्कृति से लोगों को एक स्थान पर परिचित करने का एक प्रयास है। हालांकि, महामारी के कारण, इस महोत्सव के 2020 के संस्करण का आयोजन नहीं किया जा सका। इस महोत्सव का विषय “जनजातीय शिल्प, संस्कृति और वाणिज्य की भावना का एक उत्सव” है, जोकि जनजातीय जीवन के मूल लोकाचार का प्रतिनिधित्व करता है।