मुंबई। अभिनेत्री एवं सांसद कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ को आखिरकार सेंसर बोर्ड ने हरी झंडी दे दी है। पिछले महीने कुछ सिख संगठनों ने फिल्म के दृश्यों और संदर्भों पर आपत्ति जताई थी और फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। मामला हाई कोर्ट में गया। कंगना रनौत ने कहा था कि सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेशन न मिल पाने की वजह से फिल्म की रिलीज डेट टाल दी गई है। आखिरकार सेंसर बोर्ड ने तीन तरह के संदर्भों को फिल्टर करने और कुछ ऐतिहासिक शख्सियतों के मौखिक संवादों का प्रामाणिक संदर्भ देने की शर्त पर फिल्म को प्रदर्शित करने की इजाजत दे दी है।
कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ 6 सितंबर को रिलीज होने वाली थी। हालाँकि, स्क्रीनिंग स्थगित कर दी गई क्योंकि फिल्म सेंसर बोर्ड के प्रमाणपत्र के बिना रिलीज़ नहीं हो सकती थी। अब सेंसर बोर्ड ने फिल्म ‘इमरजेंसी’ को यूए सर्टिफिकेट देने का फैसला किया है, जिसके प्रदर्शन का रास्ता साफ हो गया है। सेंसर बोर्ड ने फिल्म को रिलीज करने की इजाजत देते समय निर्माताओं के सामने कुछ शर्तें रखीं। इसमें सेंसर बोर्ड ने फिल्म से तीन तरह के कंटेंट को हटाने की शर्त रखी है। इसके अलावा, सेंसर बोर्ड ने निर्माताओं को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन और विंस्टन चर्चिल द्वारा दिए गए कुछ बयानों की प्रामाणिकता साबित करने के लिए कुछ तथ्यात्मक संदर्भ प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक सेंसर बोर्ड ने कुछ सीन्स को काटने के लिए कहा है। एक सीन में पाकिस्तानी सैनिक बांग्लादेशी विस्थापितों पर हमला करते नजर आ रहे हैं। विशेष रूप से एक दृश्य में सैनिकों को एक शिशु का सिर काटते हुए दिखाया गया है और दूसरे में तीन महिलाओं का सिर काटते हुए दिखाया गया है। इसके अलावा सेंसर बोर्ड ने एक नेता की मौत के बाद फिल्म के सामने भीड़ द्वारा की गई घोषणा पर भी आपत्ति जताई है और निर्माताओं को इसे बदलने का निर्देश दिया है। इसके अलावा वाक्य में लिए गए उपनाम को भी बदलने के लिए कहा जाता है।
इस बीच सेंसर बोर्ड ने रिचर्ड निक्सन और विंस्टन चर्चिल द्वारा कहे गए कुछ वाक्यों पर सवाल उठाए हैं। इसमें भारतीय महिलाओं के बारे में निक्सन का बयान भी शामिल है। इसके अलावा चर्चिल का कथन है कि ‘भारतीय खरगोशों की तरह प्रजनन करते हैं।’ सेंसर बोर्ड ने इन दोनों बयानों की प्रामाणिकता स्थापित करने के लिए आवश्यक संदर्भ प्रदान करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा फिल्म के लिए इस्तेमाल की गई सभी शोध सामग्री और आंकड़ों का प्रमाण भी मांगा गया है। इसमें विस्थापित बांग्लादेशियों की जानकारी, अदालती फैसलों का विवरण और ऑपरेशन ब्लूस्टार के संग्रह फुटेज का उपयोग करने की अनुमति शामिल है।
फिल्म इमरजेंसी को लेकर विवाद ट्रेलर रिलीज के साथ ही शुरू हो गया था। ट्रेलर में जरनैल सिंह भिंडरावाले के स्वतंत्र सिख राज्य के बदले में इंदिरा गांधी को वोट दिलाने के वादे पर कई सिख संगठनों ने आपत्ति जताई थी। इसके चलते हाई कोर्ट ने फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी लेकिन उससे तीन हफ्ते पहले 8 अगस्त को सेंसर बोर्ड के अधिकारियों ने फिल्म की निर्माता मणिकर्णिका फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को पत्र लिखकर कहा था कि यूए सर्टिफिकेशन के लिए फिल्म में 10 बदलाव जरूरी हैं। 14 अगस्त को निर्माताओं ने जवाब भी दाखिल कर दिया। बताया जा रहा है कि 10 में से 9 बदलावों को निर्माताओं ने स्वीकार कर लिया है।
29 अगस्त को निर्माताओं को एक ईमेल प्राप्त हुआ जिसमें कहा गया कि फिल्म को प्रमाणन के लिए मंजूरी दे दी गई है लेकिन उस समय कोई प्रमाणपत्र जारी नहीं किया गया था। इसके बाद निर्माताओं ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सेंसर बोर्ड ने बताया कि देरी 14 अगस्त को निर्माताओं द्वारा प्रस्तुत जवाब पर चर्चा के लिए बैठक आयोजित करने में विफलता के कारण हुई थी। इसलिए कोर्ट ने निर्देश दिया था कि बोर्ड 18 सितंबर तक इस संबंध में ब्योरा पेश करे।