समावेशी सोच के साथ नए भारत के विकास के लिए होगा बजट

 

डॉ धनंजय गिरि । भारत का आगामी बजट केवल आर्थिक समृद्धि की ओर नहीं, बल्कि समावेशी विकास की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। यह बजट नए भारत की सोच और दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिसमें समावेशिता, समृद्धि और सशक्तिकरण के साथ-साथ समाज के हर वर्ग का ध्यान रखा जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नेतृत्व में यह बजट एक ऐसे भारत का निर्माण करेगा, जहां विकास की गति में हर नागरिक की हिस्सेदारी हो।

नए भारत की परिकल्पना में हर भारतीय को आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा देना, विशेष रूप से उन वर्गों को जो पहले पिछड़े हुए थे, एक प्राथमिकता बन चुकी है। इस बजट में समाज के निचले स्तर के लोगों के लिए विशेष योजनाओं और लाभों का प्रस्ताव रखा जा सकता है, जिससे वे अपने जीवन स्तर में सुधार कर सकें। विशेष रूप से महिलाएं, युवा, दलित, आदिवासी और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में योजनाएं बनाई जाएंगी।

अर्थशास्त्री डॉ. रुमकी मजूमदार के अनुसार, सरकार ने रसद (लॉजिस्टिक) लागत को कम करने और आपूर्ति श्रृंखला की दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से बुनियादी ढांचे के लिए बजटीय आवंटन में लगातार बढ़ोतरी की है। वित्त वर्ष 24 (संशोधित अनुमान) में पूंजीगत व्यय में 28.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई और वित्त वर्ष 25 (बजट अनुमान) में 17 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है। हालांकि, वित्त वर्ष 25 की पहली छमाही के दौरान, केंद्र का पूंजीगत व्यय पूरे साल के बजट अनुमानों का केवल 37.3 प्रतिशत रहा, जबकि पिछले साल शुरुआती छह महीनों के दौरान यह बजट अनुमान के 49 प्रतिशत के स्तर पर था। पिछले कुछ वर्षों में बैंकों की बैलेंस शीट में लगातार सुधार और सभी क्षेत्रों में एनपीए (गैर-निष्पादित आस्तियों) में गिरावट से बैंकों की ऋण देने की इच्छा में बढ़ोतरी हुई है। इससे महामारी के बाद ऋण वृद्धि में तेजी से सुधार में मदद मिली है। ऊंची नीतिगत दरों और आरबीआई की सतर्कता के हालिया प्रभाव के बावजूद ऋण वृद्धि स्वस्थ बनी हुई है। सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों में 13.4 प्रतिशत और मध्यम उद्यमों में 20.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ, 2025 की दूसरी तिमाही में एमएसएमई क्षेत्र को दिए जाने वाले ऋण में मजबूत बढ़ोतरी देखी गई। इससे पता चलता है कि एमएसएमई क्षेत्र विस्तार के लिए अपने निवेश को बढ़ा रहा है।

स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में बड़े सुधारों की उम्मीद जताई जा रही है। सरकार का लक्ष्य इन क्षेत्रों में समावेशिता को बढ़ावा देना है ताकि हर वर्ग को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें। विशेषकर ग्रामीण और दूरदराज इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार पर जोर दिया जाएगा। इसके साथ ही, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना जैसी योजनाओं के माध्यम से आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को बेहतर चिकित्सा सेवाएं प्रदान की जाएंगी।

आज के डिजिटल युग में, टेक्नोलॉजी और डिजिटलीकरण के माध्यम से समावेशी विकास की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं। बजट में इस क्षेत्र पर खास ध्यान दिया जाएगा, जिससे भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को और अधिक सशक्त किया जा सके। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों के लोग भी डिजिटल सेवाओं का लाभ उठा सकें, जिससे उन्हें शिक्षा, रोजगार और अन्य अवसरों तक पहुंच मिले।

आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, इस बजट में युवा उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए योजनाएं बन सकती हैं। छोटे और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सस्ती वित्तीय सहायता और संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। इससे रोजगार सृजन में मदद मिलेगी और देश के विकास को नई दिशा मिलेगी।
अमेरिकी चुनावों के बाद, अमेरिका में विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए आयात शुल्क में बढ़ोतरी और कर में कटौती जैसे संभावित उपायों के चलते वैश्विक व्यापार में उतार-चढ़ाव का जोखिम बढ़ गया है। इन सभी से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं प्रभावित होंगी, जिससे भारतीय निर्यात पर असर होगा। भारत द्वारा आर्थिक विकास के महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय करने के साथ, देश को विशेष रूप से 2030 तक 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात लक्ष्य तक पहुंचने के लिए वैश्विक बाजारों में अपनी स्थिति मजबूत करनी चाहिए।

इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए, हम उम्मीद करते हैं कि सरकार वैश्विक मंच पर भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए कई उपायों को लागू करेगी। इनमें टैरिफ को दुरुस्त करना, शुल्क में छूट और छूट से जुड़ी योजनाएं शामिल हो सकती हैं, जिनसे भारतीय निर्यात की लागत को कम करने में मदद मिलेगी। इसके अतिरिक्त, सरकार बाधाओं को कम करने और निर्यातकों की दक्षता बढ़ाने के लिए निर्यात अनुपालन प्रक्रियाओं को सरल बनाने पर ध्यान केंद्रित कर सकती है।

बजट में यह उम्मीद की जा रही है कि आर्थिक सुधारों के माध्यम से देश में विदेशी निवेश आकर्षित किया जाएगा, जो विकास दर को और बढ़ावा देगा। यह निवेश रोजगार सृजन, बुनियादी ढांचे में सुधार, और नई तकनीकों के समावेश में मदद करेगा, जिससे समावेशी विकास की दिशा में कदम बढ़ेंगे।