सुशील देव
बार—बार आतंकी हमले करके भारत को दहलाने वाले पाकिस्तान का पानी रोके जाने के बाद वह घुटने पर आ गया है। यह झटका उसे तब लगा है कि जब सिंधु जल समझौते पर भारत ने अपना रूख कड़ा किया। लगातार आतंकी वारदात के जरिए भारत को अस्थिर करने की नापाक कोशिश करने वाल पाकिस्तान अब पानी की किल्लत से जूझ रहा है। जब से भारत ने इस समझौते पर पुनर्विचार करने और जल प्रवाह को सीमित करने की बात कही है। पाकिस्तान पसोपेश में पड़ा हुआ है। उस पर इस मसले पर घरेलू दबाव भी काफी बढ़ गया है। यह दबाव स्वभाविक है क्योंकि सिंधु नदी पाकिस्तान की जीवन रेखा है। पानी रूकने से पाकिस्तान को अब तक का सबसे बड़ा नुकसान माना जा रहा है। वहीं, भारत की ओर से पानी रोके जाने का यह कदम रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण और निर्णायक साबित हो रहा है।
पाकिस्तान के द्वारा सोशल मीडिया पर आए कई उकसावे भरे बयानों में बार—बार भारत को धमकाया गया है। कहीं कहा गया कि भारत पानी बंद करेगा तो हम उसकी सांस बंद कर देंगे तो कहीं कहा गया कि नदियों में पानी की जगह हम खून बहा देंगे। पाकिस्तान की इस ओछी हरकतों ने भारत को ऐसे फैसले लेने पर मजबूर होना पड़ा। इसलिए पाकिस्तान की इन धमकियों पर भारत ने भी साफ कर दिया है कि अब यदि कोई बातचीत होगी तो उसकी शुरुआत केवल आतंकवाद खत्म करने पर होगी। उसके बाद ही कोई अन्य बातचीत संभव हो पाएगी। जाहिर है,आतंक को प्रायोजित करने वाली मानसिकता में बदलाव न देखकर भारत ने यह ठोस और साहसी कदम उठाया है।
ज्ञात हो कि पिछले दिनों पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत की प्रतिक्रिया निर्णायक रही। भारत की सैन्य शक्तियों ने अपने शौर्य का परिचय देते हुए पाकिस्तान के दांत खट्टे कर दिए। इस फैसले के संग सभी प्रमुख राजनीतिक दल इस मुद्दे पर एकजुट नजर आए, जो हमारे देश की एकजुट सोच को दर्शाता है। भारत ने ‘वॉटर बम’ के रूप में जो दबाव बनाया, उसका असर पाकिस्तान की कृषि व्यवस्था और अर्थव्यवस्था पर साफ दिख रहा है। निश्चित रूप से जल संकट से वहां की खेती प्रभावित हो रही है, महंगाई और भुखमरी की आशंका बढ़ गई है और आम जन—जीवन पर इसका गंभीर असर पड़ रहा है। इसके बावजूद पाकिस्तान की ओर से भड़काऊ बयान और भारत विरोधी टिप्पणियां जारी हैं। पाकिस्तानी संसद में भारत की आलोचना करते हुए चेतावनियां दी जा रही हैं कि यदि जल प्रवाह रोका गया तो उसके दुष्परिणाम होंगे। लेकिन भारत अपने फैसले पर अडिग है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्पष्ट शब्दों में कहा है कि अब पाकिस्तान से कोई बातचीत केवल आतंकवाद के मुद्दे पर ही संभव होगी। इससे साफ है कि पानी के मुद्दे पर फिलहाल कोई समझौता या वार्ता की संभावना नहीं है। आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान पहले ही अंतरराष्ट्रीय मंचों पर घिर चुका है। भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के माध्यम से यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद का जवाब अब केवल कूटनीतिक या सैन्य ही नहीं, बल्कि रणनीतिक और बहुआयामी होगा। सिंधु जल समझौते पर रोक का निर्णय उसी दिशा में एक बड़ा कदम है। भारत अब पाकिस्तान से पारंपरिक युद्ध की बजाय आर्थिक और संसाधन आधारित रणनीति के तहत जवाब देने की नीति अपना रहा है। व्यापार, पर्यटन और अन्य साझेदारियों को सीमित कर पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाया जा सकता है। सिंधु जल समझौते की समीक्षा से पाकिस्तान में हाहाकार मच गया है। यह पहली बार है,जब भारत ने जल जैसे संवेदनशील संसाधन को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा नीति का हिस्सा बनाकर प्रभावी दबाव बनाया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने दोहराया है कि भारत अब अपने अधिकार के जल को यूं ही नहीं बहने देगा। पिछले 60 सालों में पाकिस्तान ने जो नीतियां बनाईं, ज्यादातर खोट दिखे। साफ बात है कि जल संसाधनों के वितरण को लेकर पाकिस्तान ने कई बार भारत को धोखा दिया है। लेकिन भारत इन स्थितियों को बदलने के लिए अब दृढ़ संकल्पित है। इसलिए अब समय आ गया है कि पाकिस्तान को उसके हर दुस्साहस का जवाब सख्ती से दिया जाए। भारत अब न केवल सैन्य रूप से, बल्कि जल, व्यापार और कूटनीति के स्तर पर भी पूरी तैयारी के साथ आगे बढ़ रहा है। अब पुरानी गलतियों से सबक लेकर सोच—समझकर कदम उठाया जाएगा। यह नया भारत है, जो अपनी सीमाओं, संसाधनों और नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोपरि मानता है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)