नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार कर दिया गया। इसके लिए कई दिनों तक मैराथन बैठक चली। जिस प्रकार से कंप्यूटर-लैपटॉप में पुराने सॉफ्टवेयर को अपडेट किया जाता है, यह विस्तार एक तरह से उसी प्रकार का है। प्रोसेसर तो पुराना ही है, लेकिन कई सारे सॉफ्टवेयर अपडेट किए गए और कुछ नए लिए गए। मंशा केवल ये है कि इससे त्वरित और बेहतर परिणाम निकलें।
वर्तमान फेरबदल इस अर्थ में एतिहासिक और सराहनीय है कि राज्यपालों और केंद्रीय मंत्रियों में जितना प्रतिनिधित्व महिलाओं, पिछड़ों आदिवासियों, अनुसूचितों, उच्च शिक्षितों और युवा लोगों को मिल रहा है, उतना अभी तक किसी मंत्रिमंडल में नहीं मिला है। आजादी से लेकर अभी तक के मंत्रिमंडल की सूची की पड़ताल कर ली जाए, महिलाओं की जितनी बड़ी संख्या मोदी मंत्रिमंडल में है, उतनी बड़ी संख्या भारत की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में भी नहीं थी। इसी प्रकार शायद इतना बड़ा फेर-बदल किसी मंत्रिमंडल में पहले नहीं हुआ। यह अदभुत भूल सुधार है।
इस विस्तार में यह कोशिश की गई है कि विभागीय कामों को मूर्त रूप देने में किसी प्रकार की कोई रूकावट नहीं आने पाए। इसके लिए कई बड़े विभाग के मंत्रियों के साथ अन्य विभागीय दिए गए हैं, जिनका आपस में अधिक सरोकार है। कोरोना काल में स्वास्थ्य महकमा को लेकर हरेक की उम्मीद है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की जिम्मेदारी मनसुख मंडाविया को दिया गया, तो उनको रसायन एवं उर्वरक का काम भी सौंपा गया। ताकि स्वास्थ्य मंत्रालय को दवा आदि की आपूर्ति में किसी प्रकार का व्यवधान नहीं हो। पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवधन थे और रसायन एवं उर्वरक मंत्रीर सदानंद गौड़ा।
इसी प्रकार हम रेलवे की बात करें, तो नए मंत्रिमंडल विस्तार में रेलवे के साथ आईटी की जिम्मेदारी पूर्व नौकरशाह अश्विनी वैष्णव को दिया गया। अश्विनी वैष्णव ने पहले रेलवे का पदभार 0और उसके बाद इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के रूप में अपना कार्यभार संभाला। असल में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रेलवे को आधुनिकतम तकनीक से लैस करना चाहते हैं, इसलिए इस दोनों विभाग की जिम्मेदारी एक ही व्यक्ति को दिया गया है।
कोरोना काल में यदि स्वास्थ्य बड़ा मसला है, तो भारत के भविष्य को पटरी पर लाने के लिए शिक्षा के क्षेत्र में बड़े और त्वरित निर्णय लेने होंगे। इस कसौटी पर प्रधानमंत्री कार्यालय की नजर में धर्मेन्द्र प्रधान खरे उतरे। उन्हें केंद्रीय मानव संसधान विकास यानी शिक्षा विभाग के साथ कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। उन्होंने अपना कार्यभार संभाला। इससे पहले उन्होंने जिस मंत्रालय में अपनी काम का लोहा मनवाया, उसकी कहानी केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी के बयान से लगता है, जिसमें उन्होंने कहा है कि मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती धर्मेंद्र प्रधान की तरह काम करना और उनके द्वारा शुरू किए गए अच्छे कार्यों को जारी रखना है। इस मंत्रालय का कार्य प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष रूप में प्रत्येक नागरिक को प्रभावित करता है।
नरेंद्र मोदी के इस मंत्रिमंडल को युवा मंत्रिमंडल भी कहा गया है। अनुराग सिंह ठाकुर को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के साथ खेल एवं युवा मामला दिया गया है। स्वयं एक खिलाड़ी के रूप में भी अनुराग सिंह ठाकुर अपनी पहचान दिखा चुके हैं। सरकार की बात अधिक से अधिक युवाओं तक पहुंचे इसकी जिम्मेदारी तभी अनुराग सिंह ठाकुर को दी गई है।
असल में, यह समुद्र-मंथन जैसी गतिविधि है। जिस तरीके से उत्तर प्रदेश का जातीय-रसायन इस मंत्रिपरिषद में मिलाया गया है, उससे साफ है कि न केवल विधान सभा के अगले साल होने वाले चुनाव, बल्कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सरकार ने अभी से कमर कस ली है।
मोदी कैबिनेट का सॉफ्टवेयर तो अपडेट हुआ, प्रोसेसर कितना सपोर्ट करेगा ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल को ताश की पत्तों की तरह फेंट दिया है। युवाओं और महिलाओं को तरजीह दी गई है। चुनावी राज्यां के कई समीकरण को साधने की कोशिश की गई है। इसका असर आने वाले दिनों में दिखने की बात हो रही है।