मशहूर डायरेक्टर राजामौली के सपोर्ट में आईं एक्ट्रेस कंगना रनौत ,बोलीं- हिम्मत कैसे हुई…

मुंबई

अपनी फिल्मों से ज्यादा अपने बयान को लेकर सुर्खियों में रहने वाली बॉलीवुड अभिनेत्रि कंगना रनौत ने इस बार कुछ ऐसा किया है जिसकी वजह से वो चर्चा का विषय बनी हुई हैं और उनके फैंस भी काफी हैरान है.दरअसल आरआरआर के निर्देशक एसएस राजामौली ने एक इंटरव्यू में ‘धर्म’ को लेकर ऐसा बयान दिया कि हर तरफ बवाल मच गया और लोग उन्हें ट्रोल कर रहे है.


इसी बीच कंगना रनौत उनके समर्थन में उतर आई है और ट्वीट कर ट्रोल करने वालो की जम कर क्लास लगाई है.कंगना रनौत ने लिखा ओवररिएक्ट करने की जरूरत नहीं है, भगवा झंडी को हर जगह ले जाना ठीक नहीं है, हमारे कार्य शब्दों से अधिक जोर से बोलते हैं। एक गर्वित हिंदू होने के नाते सभी प्रकार के हमलों, शत्रुता, ट्रोलिंग और भारी मात्रा में नकारात्मकता का आह्वान किया जाता है, हम सभी के लिए फिल्में बनाते हैं, हम कलाकार विशेष रूप से कमजोर हैं क्योंकि हमें तथाकथित दक्षिणपंथी से भी कोई समर्थन नहीं मिलता है, हम बिल्कुल अपने दम पर हैं, इसलिए बैठ जाओ, हिम्मत भी मत करो, मैं बारिश में लौ की तरह राजामौली सर के खिलाफ कुछ भी बर्दाश्त नहीं करूंगा, एक जीनियस और राष्ट्रवादी सर्वोच्च क्रम के योगी।उसे पाकर हम धन्य हैं.साथ ही इन दक्षिणपंथी मूर्खों का उपयोग करना और हमारे अपनों को विघटित करना और बदनाम करना वामपंथी की एक सुविचारित रणनीति है, ताकि उनकी कोई आवाज़ या प्रभाव न बचे, यह पुराना साक्षात्कार अचानक बड़े पैमाने पर कैसे मेल किया गया और उसी एजेंडे के साथ समान सुर्खियों के साथ प्रकाशित किया जा रहा है। कहाँ?दुनिया ने किस बात के लिए उन पर विवादित मुहर लगाई है? उन्होंने क्या विवाद किया? उन्होंने हमारी खोई हुई सभ्यता को महिमामंडित करने के लिए बाहुबली नामक फिल्म बनाई, या उन्होंने राष्ट्रवादी आरआरआर बनाई? या उन्होंने अंतरराष्ट्रीय रेड कार्पेट पर धोती पहनी?उन्होंने क्या विवाद किया? कृपया मुझे बताओ,कंगना ने आगे लिखा मुझे पता है कि उन्होंने इस देश से प्यार किया और क्षेत्रीय सिनेमा को दुनिया में ले गए, वह देश के प्रति समर्पित/समर्पित हैं, यह उनकी गलती है इसलिए वे उन्हें विवादास्पद कहते हैं लेकिन इस देश की हिम्मत कैसे हुई एक व्यक्ति के रूप में श्री राजामौली जी की ईमानदारी पर सवाल उठाने की,तुम सबको शर्म आनी चाहिए.कंगना ने आखिर में कहा कि सत्य अपने दम पर खड़ा होता है, यह आपकी या मेरी स्वीकृति का गुलाम नहीं है, मैंने जो कहा वह उच्च भलाई के लिए है, मुझे इससे कुछ हासिल नहीं है, मैं राजामौली सर से कभी नहीं मिला या बात नहीं की, मुझे यह सब नहीं पता नकारात्मकता उन्हें परेशान भी नहीं कर सकती है, लेकिन मैं सत्य की जय-जयकार करता हूं, यही धर्म है.