अजित झा
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र चाहता है कि सामान्य भक्त प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के दौरान अयोध्या न आएं। वह यह भी चाहता है कि अयोध्या के आम लोग भी उस समय राम जन्मभूमि न आएं। यही कारण है कि देश के अन्य हिस्सों की तरह अयोध्या में भी अक्षत निमंत्रण दिया जा रहा है। व्यवस्था की मजबूरी समझी जा सकती है। हम जानते हैं कि कई आसुरी ताकतें इस यज्ञ में विघ्न डालने की फिराक में होंगे। इसलिए सीमित संख्या में लोगों का आना व्यवस्था को बनाए रखने में सहायक होगा।
लेकिन दूसरी तरफ ऐसे-ऐसे लोगों को 22 जनवरी के समारोह के लिए निमंत्रण दिया जा रहा है जिससे लगता है कि व्यवस्था में कई खामी है। आखिर रणबीर कपूर या आलिया भट्ट को किस योग्यता के आधार पर बुलाया गया है? निमंत्रण पत्र भेजे जाने से पहले बताया गया था कि साधु-संत, बलिदानी कारसवेकों के परिजनों, विभिन्न क्षेत्रों की गणमान्य हस्तियों और राम जन्मभूमि आंदोलन को कवर करने वाले पत्रकारों को न्योता जाएगा।
लेकिन ऐसे पत्रकारों को भी न्योता भेजा गया है जो रामजन्भूमि आंदोलन के वक्त चड्डी में सू-सू करते थे। ऐसे लोगों को न्योता जा रहा है जो भारतीय राजनीति में नरेंद्र मोदी के उदय के बाद हिंदू हृदय सम्राट/हिंदू हृदय साम्राज्ञी बने हैं। ऐसे लोगों का नाम पता करने के लिए आपको शोध करने की आवश्यकता नहीं है। ये स्वयंभू सम्राट/साम्राज्ञी/पत्रकार खुद सोशल मीडिया में न्योता मिलने की मुनादी कर रहे हैं।
जाहिर है कि प्राण-प्रतिष्ठा का निमंत्रण किनको भेजा जाए इसका कोई मापदंड तय नहीं है। यदि तय किया गया है तो शुचिता के साथ उसका पालन नहीं हो रहा है। एक तरफ चंपत राय चाहते हैं कि आडवाणी और जोशी उम्र के कारण अयोध्या न आएं। दूसरी तरफ आईटी सेल के नए-नवेलों को न्योता मिलना, बताता है कि पूरी व्यवस्था में कहीं न कहीं गभीर गड़बड़ी है।
व्यवस्था से जुड़े लोगों को इस गंभीर बीमारी का उपचार तत्काल करना चाहिए, क्योंकि प्राण-प्रतिष्ठा में अब गिनती के दिन शेष रह गए हैं। इस बीमारी की अनदेखी उस समय हिंदुओं का तमाशा बना सकती है जब पूरा विश्व उनकी ओर देख रहा होगा। वैसे भी ये कलियुग है। कोई नहीं जानता कि कालनेमि कौन सा रूप धर कर पहुंच जाए। ऐसे सभी लोगों का न्योता रद किया जाना चाहिए जिन्होंने ‘सेटिंग’ से इसे प्राप्त किया है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)