प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि परक्राम्य विलेख अधिनियम की धारा-138 की अर्जी पर धारा-202 में साक्ष्यों की जांच से संतुष्ट होने पर ही विपक्षी को सम्मन जारी करना चाहिए। बिना साक्ष्य देखे सम्मन जारी करना विधि विरुद्ध है। कोर्ट ने याची के विरुद्ध अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आगरा के 13 सितम्बर 2022 को जारी सम्मन को रद्द कर दिया और नये सिरे से नियमानुसार आदेश पारित करने का आदेश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह ने इरशाद खान की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याची का कहना था कि निर्विवाद तथ्य है कि याची अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर कोलकाता में रहता है। बिना साक्ष्य पर विचार किए उसे सम्मन जारी कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि शिकायतकर्ता के साक्ष्य पर विचार कर सम्मन जारी करना चाहिए। इस मामले में ऐसा नहीं किया गया है।