पटना। प्रदर्शनकारियों ने अग्निपथ योजना के विरोध में लक्खीसराय जंक्शन पर एक ट्रेन में आग लगा दी। पुलिस ने बताया, “4-5 डिब्बों में आग लगी है, उन लोगों ने मुझे भी वीडियो बनने से मना कर दिया और मेरा फोन छीन लिया।“ अग्निपथ के विरोध पर केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि मैं युवाओं से अपील करता हूं कि वे हिंसक विरोध प्रदर्शन में शामिल न हों और रेलवे की संपत्ति को नुकसान न पहुंचाएं। रेलवे देश की संपत्ति है। मेरा सभी से निवेदन है कि रेलवे आपकी और राष्ट्र की संपत्ति है।आप किसी भी तरह से हिंसक प्रदर्शन न करें और रेलवे संपत्ति आपके सेवा के लिए है इसलिए इसे बिल्कुल नुकसान न पहुंचाए।
दरअसल, ट्रेन जलाने के अपने लॉजिक हैं। लॉजिक तो इंसानों को जलाने के भी हैं और कोई बुद्धिजीवी उसे भी शांतिपूर्ण विरोध कह सकता है, क्योंकि तर्क एक दुधारी तलवार है। लेकिन मोदी सरकार को ये समझना चाहिए कि उसके औचक फैसले अक्सर दीवाल से टकराए हुए गेंद की तरह लौट जाते हैं।
जिस देश में रोजगार एक बड़ी समस्या हो और जहाँ रोजगार का मतलब एक बड़े वर्ग के लिए आकर्षक, मानवीय, स्थाई और कई बार लापरवाही से भरी सरकारी नौकरी हो, वहाँ साल में बीस-तीस हजार रोजगार को खत्म कर देना या वैसा संदेश देना कहाँ से उचित है? चलिए अग्निवीर योजना से नौकरी खत्म न हुई हो, लेकिन आपका कम्यूनिकेशन मैनेजमेंट तो खत्म है गुरु!
#WATCH | Bihar: Trains burnt and damaged, cycles, benches, bikes, and stalls thrown on railway tracks amid the ongoing agitation against the recently announced #AgnipathRecruitmentScheme
(Visuals from Danapur Railway Station, Patna district) pic.twitter.com/JBOnCihIoZ
— ANI (@ANI) June 17, 2022
देश में सेना की जितनी आवश्यकता सन् नब्बे के दशक में थी, वो अब नहीं रह गई है। सेना से ज्यादा जरूरत इस देश में आंतरिक कानून-व्यवस्था के लिए पुलिस को सशक्त करने की है। सेना के आधुनिकीकरण का प्रोजेक्ट जारी है और जाहिर सी बात है, बहुत सारे काम मशीनें कर रही हैं। लेकिन इसके लिए सरकार को चाहिए था कि वो साल-दो साल जनता को समझाती कि भैया अब हम सेना में पुरानी जैसी भर्ती नहीं कर पाएँगे और सेना तकनीक आश्रित होती जाएगी।
ऐसा चार जगह प्रधानमंत्री बोल देते, दो जगह रक्षामंत्री बोल देते। साल दो साल अखबार में छपता, टीवी वाले कूदते। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बीजेपी को अभी कांग्रेस बनने में देर लगेगी। इतनी जल्दी उससे न हो पाएगा। शासन करने के लिए लिए पिंडारियों का छल चाहिए, लेकिन बीजेपी वाले बहुत कच्चे हैं। प्रधानमंत्री और उनकी टीम अभी तक जनता का मूड भाँपने में सफल रही है। ये पहली बार है वो लड़खड़ा रही है। उन्होंने अनुच्छेद 370, सीएए, राम मंदिर, किसान आन्दोलन हर समय सही समय पर सही बैटिंग की और बिल वापस लेकर भी जनमत के सामने सफल रहे।