गायिका की यह जीवनी मूल रूप से ‘‘उल्लास की नाव’’ शीर्षक से विकास कुमार झा द्वारा हिंदी में लिखी गई। अंग्रेजी में इस पुस्तक का अनुवाद लेखक की बेटी सृष्टि झा ने किया है। ऊषा उत्थुप ने वर्ष 1969 से बंगाली, हिंदी, अंग्रेजी और अन्य भाषाओं में पॉप गाने गाए हैं।
अब उस विवाद के तीन दशकों से अधिक समय के बाद, पॉप आइकन ऊषा उत्थुप ने उस प्रकरण को ‘‘अभूतपूर्व’’ करार दिया है, क्योंकि उस समय इस बहस को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय, मीडिया और तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु गायिका के साथ खड़े थे। उस प्रकरण को याद करते हुए प्रख्यात गायिका ने कहा, ‘‘अगर मैं उन दिनों को याद करती हूं, तो मुझे याद आता है कि कैसे पूरा मीडिया मेरे साथ खड़ा था, तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु मेरे साथ खड़े थे, बंगाल के लोग मेरे साथ मजबूती के साथ खड़े थे। मैं कलकत्ता उच्च न्यायालय को एक कलाकार के अधिकार को बरकरार रखने के लिए धन्यवाद देती हूं। यह एक प्यारी तस्वीर थी, पीछे मुड़कर देखने पर एक अद्भुत तस्वीर…. ।’’