नई दिल्ली। बता दें कि जब करण जौहर को यह पुरस्कार देने की घोषणा की गई थी, तब करण जौहर ने भी ट्विटर के जरिए अपने जज्बातों को साझा किया। उन्होंने कहा, ऐसा अक्सर नहीं होता है कि मैं शब्दों के लिए खो जाता हूं, लेकिन यह एक ऐसा अवसर है … पद्मश्री। मैं हर दिन अपने सपने को जीने, बनाने और मनोरंजन करने के अवसर के लिए उत्साहित और आभारी हूं। उन्होंने इस अवसर पर अपने पिता को विशेष रूप से याद किया अगर वे आज होते तो काफी गर्व महसूस करते और काश वह यहां मेरे साथ इस पल को साझा करने के लिए होते।
करण जौहर ने फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ से सहायक निर्देशक के तौर पर फिल्म इंडस्ट्री में शुरूआत की जो कि हिन्दी सिनेमा की लैंडमार्क फिल्मों में से एक मानी जाती है। इस फिल्म में उन्होंने शाहरूख के दोस्त का एक छोटा सा किरदार भी निभाया था। निर्देशक के तौर पर उनकी पहली फिल्म ‘कुछ कुछ होता है’ थी। जो ब्लाकबस्टर रही। यह फिल्म एक प्रेम त्रिकोण पर आधारित थी। फिल्म की काफी सराहना हुई और फिल्म ने कई पुरस्कार जीते। इसके बाद कभी खुशी कभी गम, कभी अलपिदा ना कहना, माय नेम इज खान। इन सभी फिल्मों में करन ने अपने अजीज दोस्त शाहरूख को ही लीड रोल में कास्ट किया। इनके बाद आई उनकी निर्माता-निर्देशक के तौर पर फिल्मों में उन्होंने नई पीढ़ी को कास्ट करना शुरू कर दिया। कई फिल्मों में वे कैमियो में भी नजर आए आ चुके हैं।