नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद केंद्रीय कैबिनेट बुधवार को नए कृषि कानूनों को रद्द करने के आदेश में मुहर लगाएगी। इस आशय की जानकारी सरकार के सूत्रों की ओर से दी गई है। वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में तय किया गया है कि जब तक संसद इस पर अंतिम मुहर नहीं लगाती है, किसानों का आंदोलन जारी रहेगा। हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा के नेता 27 नवंबर को एक बार फिर से बैठक करेंगे। बता दें कि 29 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र है।
बता दें कि 24 नवंबर को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में होनी है। जानकारी के मुताबिक, बैठक में तीनों कानूनों को वापस लेने का प्रस्ताव रखा जाएगा। जिसको कैबिनेट से मंजूरी मिलना तय है। इसके बाद शीत सत्र में कानूनों को वापस लेने से संबंधित विधेयकों को रखा जाएगा। केंद्र सरकार जून 2020 में खेती और जमाखोरी से जुड़े तीन कानून लाई थी। जिसके विरोध में एक साल से किसान आंदोलन कर रहे हैं। किसानों के लगातार आंदोलन के आगे झुकते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को गुरु पर्व के मौके पर कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है। पीएम ने इस दौरान कहा कि हमने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को रिपील (निरस्त) करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।
कानून वापसी के ऐलान के बाद भी किसान नेताओं ने सरकार पर पूरी तरह भरोसा नहीं दिखाया है। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की रविवार (21 नवंबर) को बैठक हुई। ये बैठक दिल्ली के सिंघू सीमा पर संपन्न हुई। बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, ”हमने बैठक में तय किया है कि जो कार्यक्रम संयुक्त किसान मोर्चा ने पहले तय किए थे वे आगे भी जारी रहेंगे। 27 तारीख को फिर से संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग होगी। जो मांगे बाकी रह गई है उसके बारे में प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) को पत्र लिखा जाएगा।” किसान नेताओं ने साफ कर दिया है कि तीन कृषि कानून जब तक अधिकारिक तौर पर संसद में निरस्त नहीं हो जाता, तब तक उनका किसान आंदोलन जारी रहेगा।