भ्रष्टाचार के विरुद्ध अभियान और भ्रष्टाचार की लपेट में?

जानें कौन सच बोलता है.... असली सच तो खुद ही बताएंगे केजरीवाल।

नई दिल्ली। बड़ी उलझन में हूँ, किसे सच मानूं? इंडिया अगे़ंस्ट करप्शन अभियान चलाने वाले अरविंद केजरीवाल को सही मानूं या शराब नीति से कथित रूप से करोड़ों रुपये कमा कर गोवा के चुनाव में खर्च करने वाले अरविंद केजरीवाल को सच मानूं ? ईडी के लगाये दोष को सच मानूं कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ही इस शराब नीति के मुख्य साजिश कर्त्ता हैं और उन्होंने ही मुख्य भूमिका निभाई ! अब तक पकड़े गये मनीष सिसोदिया या आप के अन्य नेता तो सहयोगी मात्र हैं । इसी दोष को सच मान लूं‌ या फिर अरविंद केजरीवाल के वकील व कांग्रेसी नेता अभिषेक मनु सिंघवी का कहा सच मानूं कि यह पूरा केस अफसरों के बयानों पर आधारित है और ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है, जिससे यह साबित हो कि केजरीवाल ने कुछ गलत किया है ! यह केस सह आरोपियों और अफसरों के बयानों के आधार पर बनाया गया है, जो एलजी के नेतृत्व में काम कर रहे हैं । क्या मैं अन्ना हज़ारे की बात को सच मान लूं कि अरविंद केजरीवाल ने मेरी बात नहीं मानी ! सबको पता है कि केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जनांदोलन खड़ा करने में प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे का साथ लिया था और खुद पृष्ठभूमि में रहे थे । अन्ना हज़ारे दुख जता रहे हैं कि केजरीवाल ने उनकी बात नहीं मानी और राजनीति में चले गये ! यह भी कह रहे हैं कि केजरीवाल को उनके कर्मों के चलते गिरफ्तार किया गया है । मैंने‌ शराब नीति के मुद्दे से दूर रहने को कहा था ! पता नहीं इतने समय तक अन्ना हज़ारे किस बात का इंतज़ार कर रहे थे और कहां थे?
कवि और आजकल संतों की तरह कथावाचक बने व कभी केजरीवाल के साथी कुमार विश्वास का कहा सच मान लूं कि कर्म प्रधान विश्व‌ रचि राखा,
जो जस करहि सो तस फल चाखा ! यानी ये भी कह रहे हैं कि जैसी करनी, वैसी भरनी ।
इसलिए बड़ी उलझन है, खोया मेरा दिल है, कोई इसे ढूंढ के लाओ न ! न मेरा दिल साथ दे रहा है और न दिमाग साथ दे रहा है । क्या अरविंद केजरीवाल दोनों तरफ अतिवादी हैं? यानी इंडिया अगे़ंस्ट करप्शन अभियान भी चलाते हैं और फिर गोवा के चुनाव के लिए शराब नीति से पैसे इकट्ठे कर चुनाव में लगा देते हैं? क्या यही सच है या कोई साज़िश है केजरीवाल के या आप के खिलाफ? विपक्षी दल तो यही कह रहे हैं और अरविंद केजरीवाल भी यही कह रहे हैं कि लोकसभा चुनाव सीधे मैदान में लड़िये न कि ईडी की ओट मे ! बीच बीच में मुझे संविधान भी थोड़ा याद आ जाता है कि क्या आदर्श आचार संहिता लागू हो जाने के बाद कोई नया म़त्रिमंडल शपथ ले सकता है और शायद ले ही सकता होगा! मैं यों ही संदेह न करूं ! अब यह सवाल भी कुलबुला रहा है कि क्या गिरफ्तार कर‌ लिए जाने और जेल जाने के बाद भी कोई मुख्यमंत्री पद पर बना रह सकता है ? क्या जेल के अंदर से सरकार चलाई जा सकती है ? आतिशी तो पहले दिन से कह रही है कि केजरीवाल ही मुख्यमंत्री हैं और रहेंगे ! क्या यह कानून सम्मत भी है? किसी मंत्री के कहने से क्या होता है?
इस तरह बहुत सारे सवाल मन को परेशान किये हैं । क्या अरविंद केजरीवाल के लिए दिल्ली की जीत और कुर्सी काफी नहीं थी या कि उनकी महत्त्वाकांक्षायें इस कदर बढ़ गयीं थीं कि सफल बने रहने के लिए दूसरे राजनेताओं की राह पर चल पड़े? फिर आप में और दूसरों में फर्क ही क्या रह गया और किसलिए इंडिया अगे़ंस्ट करप्शन अभियान चलाया ? आप पार्टी को समय समय पर कांग्रेस और भाजपा की बी टीम भी कहा जाता। जब आप के चलते कांग्रेस सत्ता से दूर रह जाती तब यह भाजपा की बी टीम कही जाती और जब भाजपा सत्ता से किसी राज्य में दूर रह जाती तब यह कांग्रेस की बी टीम कही जाती लेकिन अब किसकी बी टीम में है? इंडिया में ? और राहुल गाँधी कह रहे हैं कि इंडिया केजरीवाल की गिरफ्तारी का मुंहतोड़ जवाब देगा ! भाजपा नेता अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को सही बता रहे हैं और केजरीवाल पहले मुख्यमंत्री हैं जो पद पर रहते हुए गिरफ्तार किये गये हैं, हेमेन सोरेन‌ ने गिरफ्तारी से पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था लेकिन केजरीवाल इस्तीफा देने को तैयार नही हैं !
इस तरह बड़ी उलझन है और अभी छह दिन पूछताछ चलेगी, नये तथ्य सामने आयेंगे और तब तक इन राजनीति के पुलों के नीचे से कितना कुछ बह चुका होगा !