परीक्षाओं को लेकर नहीं पालें अधिक तनाव

– गुलशन झा

परीक्षा शब्द एक भय का विषय बन जाता है ।प्रत्येक अभिभावक अक्सर बच्चों को यह कहता है कि पढ़ लो, पढ़ लो बोर्ड परीक्षा सर पर  है, अच्छे प्रतिशत नंबर आ जाएंगे तो अगली कक्षा में प्रवेश पा जाओगे। मन पसंद विषय मिल जाएंगे । यहाँ बोर्ड में प्रवेश करने वाले बच्चों से मैं कहना चाहूंगी कि डरने की बजाय  वह एक पढ़ने की सुचारु नीति बनाएँ, तो कम समय में भी अच्छा परिणाम पा सकते हैं ।आवश्यकता है किसी भी विषय की तैयारी करने के लिए पाठ्य पुस्तक में दिए गए पाठ को विस्तार से पढ़ें, हाथ में पेंसिल लेकर मुख्य बिंदुओं से पुस्तक में निशान लगाए फिर ख़ुद ही अपने नोट्स  बनाए तीसरी बार एक पाठ पढ़ना,आपके मनोबल को बढ़ाएगा जिससे कि आप  उस पर आधारित छोटे छोटे प्रश्नों के उत्तर आप स्वयं ही ढूँढ लेंगे।
जब तीन बार एक पाठ आपकी आँखों के सामने से मस्तिष्क से निकलेगा तो वह अपने ज़हन में पुख़्ता हो जाएगा। धीरे धीरे पाठ को तैयार करने से जब भी आप सैंपल पेपर के प्रश्नों को देखेंगे तो पाएंगे कि आप पहले से ज़्यादा आत्मविश्वास से प्रश्नों के उत्तर समझ और लिख पा रहे हैं।
 सफलता कोई एक दिन का खेल नहीं है यह प्रतिदिन का किया गया अभ्यास है । आपको दिए गए पाठ्यक्रम को नियम बद्ध तरीक़े से दोहराना है। आप कभी किसी से प्रतियोगिता न करें अगर प्रतियोगिता करनी ही है तो स्वयं से करें ।बेहतर तैयारी बेहतर तरीक़े से प्रश्नों को जानें व लिखें। जीवन एक खेल की तरह है जिसमें अच्छे खिलाड़ी बन कर अपना शत प्रतिशत देना है। कभी हार जाने पर निराश न हों क्योंकि अगर आपको सफलता अभी प्राप्त नहीं हो रही है तो कोशिश न छोड़ें क्या पता ईश्वर ने आपके लिए इससे भी बेहतर सोचकर रखा हो।

 उस परम सत्ता पर भरपूर विश्वास रखते हुए प्रयत्न करते रहे। हैं। मैं अभिभावकों को भी यह कहना चाहूंगी कि अपने बच्चों को असफलता से लड़ना सिखाए, उन्हें स्वीकार कर आगे बढ़ना सिखाए। यदि एक राह बंद होती है वह दस खुलती है। जो भी उनमे अच्छा है उसे ढूँढें  और अपने बच्चे को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें।

जीवन का कोई निश्चित पाठ्यक्रम नहीं होता ।कब कौन सी ओर कैसी भी परिस्थिति आ जाए ।अगर शुरू से ही हम अपने बच्चों को इस प्रकार तैयार करेंगे तो वह कठिन परिस्थितियों में भी विचलित नहीं होगा और उनका सामना कर पाएंगे । सदैव अपने बच्चों को सकारात्मक विचारों के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा दे ।कुछ भी असंभव नहीं है हमें सदा प्रयास करते रहना  है। तुम इसे कर लोगे, तुम इस कार्य को करने में बिलकुल सक्षम हो, इस बार नहीं हुआ तो क्या हुआ अगली बार ज़रूर होगा, मुझे तुम पर पूरा विश्वास है, इस प्रकार अपने बच्चों को विशेष बनाए और पूर्ण आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा दें।

(लेखिका शिक्षाविद् हैं।)