नई दिल्ली। पिता ने एक पूरी राजनीतिक विरासत छोड़ी है, लेकिन उनके गए एक साल भी नहीं बीता कि तमाम चीजें भरभराकर गिरने लगी है। छह में से पांच सांसद साइड हो गए। केंद्रीय मंत्री का पद भी छिन गया। पार्टी को बचाने की जद्दोजहद जारी है। अब बीते 30 साल से जो सरकारी आवास था, उसे भी खाली करने का आदेश जारी हो चुका है। इसे बचाने के लिए और एक महीने की मोहलत के लिए बेटे ने पिता की मूर्ति लगा दी है। मूर्ति क्या इसे बचा पाएगी, यह सबसे बड़ा सवाल है।
हम बात कर रहे हैं सांसद चिराग पावसान की। लोजपा के संस्थापक अध्यक्ष रामलबिलास पासवान की मृत्यु को अभी एक साल भी नहीं हुआ है और उनके बेटे चिराग पासवान के हाथ से लगभग पूरी चीजें निकल चुकी है। रामबिलास पासवान के नाम से आवंटित दिल्ली स्थित 12 जनपथ बंगला से जुड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है।
12 जनपथ हाल में ही तब चर्चे में उस आया, जब इसे खाली करने का केंद्र सरकार का नोटिस भेजा गया। चिराग पासवान का बचपन भी इसी बंगले में बीता है। लोजपा कार्यालय का आधिकारिक पता भी 12 जनपथ ही रहा है। 12 जनपथ बंगले को शहरी विकास एवं आवास मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले संपदा निदेशालय ने खाली करने का नोटिस जारी किया है। अब इस बंगले को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को आवंटित कर दिया गया है।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि चूंकि यह बंगला वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री कोटे का ही है। इसलिए सांसद चिराग पासवान बतौर सांसद इसे अपने नाम से नहीं करा सकते। चिराग पासवान को पहले से नॉर्थ एवेन्यू में आवास मिला हुआ है।
यह अलग बात है कि 12 जनपथ का बंगला करीब 30 साल से पासवान परिवार के पास रहा है और चिराग पासवान अपनी मां के साथ अभी इसी बंगले में रह रहे हैं। इस बीच चिराग ने अपने पिता की बरसी तक इस बंगले में रहने का अनुरोध भी किया है। रामबिलास पासवान की पुण्यतिथि 8 अक्टूबर को है। चिराग पासवान ने बंगला छोड़ने से पहले अब यहां अपने पिता रामबिलवास पासवान की एक मूर्ति लगवा दी है और कार्यालय के बाहर रामबिलास स्मृति का बोर्ड टंगवा दिया है।
12 Janpath : पिता की मूर्ति के भरोसे केंद्रीय कार्यालय बचाना चाहते हैं चिराग पासवान
राजनीतिक विरासत की लड़ाई में चिराग पासवान क्या कमजोर पड़ते जा रहे हैं ? सियासी गलियारों में चर्चा है कि पहले सांसद गए और अब केंद्रीय कार्यालय का सरकारी पता भी छिन रहा है ? आगे कैसी राजनीतिक करेंगे लोजपा सांसद चिराग पासवान ?