नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति ने छात्रों से कई बातें की। इसमें कुछ प्रमुख है क्रांति की। उन्होंने कहा कि कितनी बड़ी क्रांति आई है कि देश के 10 करोड़ से ज्यादा किसान इसी माध्यम से केंद्र की सहायता पीएम किसान निधि की सीधी प्राप्त करते हैं। हमने वह जमाना देखा है, बिजली का बिल देने के लिए, पानी का बिल देने के लिए, एप्लीकेशन जमा करने के लिए लंबी लाइन लगती थी, छुट्टी लेनी पड़ती थी। वह सब गायब हो गई है। भारत एक बेमिसाल प्रगति की ओर है। जिस देश को सोने की चिड़िया कहा जाता था, मैं उस समय मंत्री परिषद में था। आगे वह बोले कि हमारा सोना हवाई जहाज से स्विट्जरलैंड भेजा गया, 2 बैंक में गिरवी रखा गया। तब हमारा foreign exchange एक बिलियन के आसपास था।
आज यह 660 बिलियन से ज्यादा है। इतनी बड़ी प्रगति के बाद चौथा स्तंभ कई बार नकारात्मक बातों को, भ्रामक बातों को फैलाता है। यह चिंतन का विषय है। सबसे अच्छा बात उन्होंने पत्रकारिता की। इस पर वह बोले कि देश की संसदीय व्यवस्था कितनी सुचारू ढंग से चले, वह पत्रकारिता पर निर्भर करती है। संविधान सभा करीब 3 साल तक चली। कभी कोई व्यवधान नहीं हुआ, कभी कोई नारेबाजी नहीं हुई, कभी कोई वेल में नहीं आया, कभी कोई उत्पात नहीं हुआ। वह वास्तव में प्रजातंत्र का मंदिर था। वहां पर जनतंत्र की पूजा होती थी।
प्रजातंत्र का सृजन हुआ था, प्रजातंत्र की नींव रखी गई थी। और आज के दिन हम क्या देख रहे हैं? अखाड़ा बन गया है। disruption, disturbance राजनीतिक हथियार बन गए हैं। यह कितनी दर्दनाक बात है। पत्रकारिता इस मामले में चुप्पी साधे हुए है। disturbance को आप हैडलाइन करते हैं। जो डिस्टर्ब करते हैं, वह आपके हीरो हो जाते हैं। आकलन करते नहीं हैं। कोई भी अध्यक्ष राज्यसभा के सभापति को कुछ भी कह दे, ऐसे दुराचरण को आप प्रीमियम पर रखते हैं। यह पत्रकारिता के लिए बहुत सोच और चिंतन का विषय है।