सहकारी समितियों की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में होगी अहम भूमिका

नई दिल्ली। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के “सहकार से समृद्धि” के दृष्टिकोण के अनुरूप, अंतरिम बजट 2024 सहकारी क्षेत्र के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने की पहल को प्राथमिकता देता है।

संसद में प्रस्तुत बजट गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय द्वारा की गई 54 प्रमुख पहलों को प्रतिबिंबित करता है।

इसका उद्देश्य देश भर में पैक्स (प्राथमिक कृषि ऋण समितियों) और प्राथमिक सहकारी समितियों को मजबूत करना है, जो ग्रामीण समृद्धि की राह पर एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

जबकि बजट विभिन्न सामाजिक-आर्थिक पहलों के माध्यम से महिलाओं सशक्तिकरण, युवाओं, हाशिए पर रहने वाले समूहों और किसानों पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रणालीगत असमानता में कमी को प्राथमिकता देता है, यह सहकारी समितियों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी काफी बढ़ावा देता है।
बजट के विभिन्न पहलुओं को समझाते हुए अधिकारियों ने कहा कि डेयरी प्रसंस्करण, ब्रांड निर्माण, विपणन और बुनियादी ढांचा विकास (डीआरडीएफ) फंड, राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) और राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) के लिए निरंतर समर्थन सहकारी डेयरी क्षेत्र को मजबूत करता है।

सरकार का लक्ष्य स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के माध्यम से लखपति दीदियों की संख्या 2 करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ करना है और इस उद्देश्य के लिए एक लाख करोड़ रुपये का कोष आवंटित किया है।

अधिकारियों ने कहा, चूंकि ग्रामीण स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) को पैक्स द्वारा वित्त पोषित किया जाता है, इसलिए यह पैक्स के लिए ग्रामीण स्तर पर इसे लागू करके ग्रामीण महिलाओं की वित्तीय स्थिति पर प्रभाव डालने का एक बड़ा अवसर प्रस्तुत करता है।