दिव्यांगजनों मिलेगी रा​हत

यह राहत उन्हें कानूनी पेशे में मिलेगी।

नई दिल्ली। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने पिछले तीन वर्षों में लॉ कॉलेजों में दिव्यांगजनों के लिए सुलभता बढ़ाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। बीसीआई की प्राथमिकता है कि सभी लॉ कॉलेज अपने पाठ्यक्रमों के लिए मान्यता प्राप्त करने से पहले सुलभता मानकों का पालन करें। इसमें शारीरिक रूप से दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए रैंप, लिफ्ट, और अन्य सुविधाओं का निर्माण शामिल है। इसके अलावा, दृष्टिबाधित विद्यार्थियों के लिए ब्रेल लिपि में किताबें और डिजिटल संसाधन प्रदान करना अनिवार्य है, ताकि वे अपने पाठ्यक्रमों में पूरी तरह से भाग ले सकें।

बीसीआई नियमित निरीक्षण और फीडबैक के माध्यम से यह सुनिश्चित करता है कि कानून की शिक्षा देने वाले संस्थान दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए अपनी सुविधाओं और सेवाओं में लगातार सुधार कर रहे हैं। ये उपाय एक समावेशी शैक्षिक वातावरण बनाने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं, जो विद्यार्थियों की विभिन्न जरूरतों को पूरा करता है।

बीसीआई ने सभी कानूनी शिक्षा केंद्रों से अनुरोध किया है कि वे दिव्यांग विद्यार्थियों, शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए उचित भौतिक और शैक्षणिक अवसंरचना उपलब्ध कराएं। इसमें रैंप का निर्माण, दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए श्रवण संकेतों के साथ लिफ्ट की स्थापना और ब्रेल प्रतीकों का समावेश शामिल है, ताकि कॉलेज दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए पूरी तरह से सुलभ हो सके।

समान अवसर नीति के तहत, बीसीआई दिव्यांगजनों के अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 21 के अनुसार, सभी उम्मीदवारों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता के साथ कार्य करता है। बीसीआई का उद्देश्य यह है कि कानूनी शिक्षा और पेशे में किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया कानूनी पेशे में पहुंच और समान अवसरों को बढ़ावा देने के लिए अपने नियामक ढांचे, निगरानी प्रथाओं, और परीक्षाओं में विशिष्ट समायोजन के माध्यम से दिव्यांगजनों को सहायता और सुविधा प्रदान करने के प्रति प्रतिबद्ध है।