नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस को बहुत बड़ा झटका दे चुकी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और राहुल गांधी की टीम में प्रमुख चेहरा रहे आरपीएन सिंह बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। इसका असर जहां उत्तर प्रदेश की राजनीति पर होगी, वही झारखंड की सियासत भी हिचकोले खा सकती है। कारण, आर पी एन सिंह झारखंड कांग्रेस के प्रभारी की जिम्मेदारी देख रहे थे। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इनके जरिए ही कांग्रेस आलाकमान से संपर्क साधते रहे हैं।
आरपीएन सिंह ने ट्वीट किया, ”आज, जब पूरा राष्ट्र गणतंत्र दिवस का उत्सव मना रहा है, मैं अपने राजनैतिक जीवन में नया अध्याय आरंभ कर रहा हूं। जयहिंद।” सोनिया गांधी को भेजे इस्तीफे में आरपीएन सिंह ने लिखा है कि वह कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं। उन्होंने राष्ट्र और लोगों की सेवा करने का मौका देने के लिए सोनिया गांधी को धन्यवाद भी दिया है।
दिलचस्प यह भी है कि एक दिन पहले ही कांग्रेस ने स्टार प्रचारकों की जो लिस्ट जारी की है उसमें आरपीएन सिंह का भी नाम है। पडरौना राजघराने से आने वाले आरपीएन के जरिए बीजेपी एक तीर से दो निशाना साधने जा रही है। बीजेपी उन्हें स्वामी प्रसाद मौर्या के खिलाफ पडरौना से उतार सकती है। हालांकि, स्वामी के टिकट की घोषणा अभी नहीं हुई है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद जैसे कई बड़े और युवा नेताओं को जोड़कर रख पाने में असफल रही कांग्रेस पार्टी के लिए यह असहज करने वाली स्थिति इसलिए भी है क्योंकि एक दिन पहले ही पार्टी ने आरपीएन सिंह को यूपी के स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल किया था। ऐसे में जब पार्टी के स्टार प्रचारक ही पार्टी छोड़कर जा रहे हैं तो पार्टी के मतदाताओं के बीच बेहद नकारात्मक संदेश जाएगा। आरपीएन सिंह कुशीनगर के पडरौना के रहने वाले हैं। वह 1996 से 2009 तक पडरौना से कांग्रेस के विधायक रहे हैं। 2009 में वह कुशीनगर (तत्कालीन पडरौना लोकसभा) सीट से लोकसभा सांसद चुने गए।