परीक्षाओं के मौसम में बच्चों को समझाएं प्यार से

गुलशन झा

परीक्षाओं का मौसम आ चुका है। इस समय विद्यार्थियों में तनाव का होना लाजिमी है, लेकिन जब यह मान लिया जाता है कि अंक न हों तो कुछ नहीं तब यह तनाव खतरनाक मोड़ पर पहुंच जाता है। अंक महत्वपूर्ण जरूर हैं, पर जिंदगी नहीं।
माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा टॉप करे, उनका नाम रोशन करे। एक अभिभावक यह चाहेगा ही, इसमें गलत कुछ नहीं है। गलत तब है, जब अंकों की यह भूख बच्चे की क्षमता से आगे निकल जाए। अगर पता है कि बच्चा ज्यादा अंक नहीं ला पाएगा, फिर भी दबाव बनाते हैं तो यह बहुत ही खतरनाक है। बच्चा क्या बनना चाहता है, उसे क्या पसंद है, वह क्या करना चाहता है, माता-पिता सिर्फ इसी पर अपना फोकस करें। देखिए, नतीजे आपकी उम्मीदों से भी कहीं बेहतर आएंगे। आइए जानते है एक्सपर्ट्स से बच्चों में तनाव के कारण और इसके समाधान।
अंकों का संबंध शैक्षणिक प्रदर्शन से जरूर है। हो सकता है अच्छे अंकों से आपको किसी अच्छे संस्थान में दाखिला मिल जाए, लेकिन यह समझना भी जरूरी है कि इसका संबंध आपकी प्रतिभा से बिल्कुल भी नहीं है। इसके मायने यह हैं कि कम अंक आपकी उस प्रतिभा को नहीं रोक सकते, जिसके लिए आप बने हैं। दुनिया के सभी सफल और महान लोगों को देखिए। कोई भी ऐसा नहीं है, जिसने टॉप किया है बल्कि कुछ लोग तो ऐसे भी हैं जो अपनी पढ़ाई ही पूरी नहीं कर सके, फिर भी दुनिया के अमीरों की सूची में शीर्ष पर आए। ऐसा इसलिए क्योंकि उनका लक्ष्य अंकों पर नहीं था, उनके अपने गोल पर था। इसलिए अच्छे अंक लाने की कोशिश जरूर करें, लेकिन यही अंतिम लक्ष्य न हो।
हर बच्चा पढ़ने में अच्छा ही हो, जरूरी नहीं है। हर बच्चा अच्छे अंक ला सके, यह भी जरूरी नहीं है। हर बच्चा आईआईटी, मेडिकल एग्जाम या इसी तरह की एग्जाम क्रैक कर सके, यह भी जरूरी नहीं। तो ऐसे बच्चे क्या करें? ध्यान रहे, ईश्वर ने हर व्यक्ति को एक अद्वितीय क्षमता के साथ पैदा किया है, जो अंकों पर आधारित नहीं होती। बस, अपनी उस क्षमता को पहचानकर आगे बढ़ने की जरूरत है। शुरुआती परीक्षा का परिणाम आपके भविष्य को निर्धारित नहीं करता, इसलिए अंक कैसे भी आएं, आप क्या करना चाहते हैं, इस पर पूरा फोकस होना चाहिए।
हर बच्चा चाहता है कि वह टॉप करे जो अच्छी बात है, लेकिन यह भी उतना ही बड़ा सच है कि हर बच्चा तो टॉप नहीं कर सकता। तो फिर कहीं ऐसा तो नहीं है कि अंकों की इस अंधी दौड़ में आप कुछ खो रहे हैं? क्या खो रहे हैं, इसका आपको शायद अंदाजा भी नहीं है। विद्याथियों और उनके अभिभावकों, दोनों को यह समझना जरूरी है कि अंक ही जीवन का आधार नहीं हो सकते। जीवन बहुत बड़ा है और बहुत कुछ देता है। इस दौड़ को अपने दिमाग पर हावी नहीं होने देना है। बस मन और शांत दिमाग से पढ़ाई करनी है और हमेशा सकारात्मक रहना है। आपका खुद पर विश्वास होना बहुत जरूरी है और यह विश्वास तभी बनेगा जब आप अच्छी तरह से पढ़ाई कर पाओगे, अंकों को दिमाग़ में रखे बगै़र।


(लेखिका शिक्षाविद् और एक्सिस ट्यूटोरियल, नई दिल्ली की निदेशक हैं।)