नई दिल्ली। टोक्यो ओलंपिक के एथलेटिक्स में भारत की ओर से पहला गोल्ड मेडल हासिल करने वाले जेबलीन थ्रो के खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने अपने अनुभव साझा किया। मीडिया से बात करते हुए नीरज चोपड़ा ने कहा कि मिल्खा सिंह ने भारतीय खेल और एथलेटिक्स के लिए बहुत बड़ा योगदान किया, उनका सपना था कि भारत से कोई गोल्ड जीते और राष्ट्रगान बजे। उनका वो सपना पूरा हुआ लेकिन आज वो हमारे बीच नहीं हैं, मुझे लगता है कि वो आज जहां भी हैं वहां से देखकर गर्व महसूस कर रहे होंगे। मेरे सबसे छोटे अंकल मुझे स्टेडियम में लेकर गए थे, वो चाहते थे कि मैं खिलाड़ी बनूं। जब मैंने पहले दिन जैवलिन खेलना शुरू किया तो मुझे जैवलिन से अजीब सा लगाव हो गया था, मैंने उसी दिन से जैवलिन को अपना प्रोफेशन चुन लिया था।
उन्होंने यह भी कहा कि चोट खिलाड़ी की ज़िंदगी का एक हिस्सा है, उस समय ये मानना थोड़ा मुश्किल होता है लेकिन हम इसे बदल नहीं सकते। मैंने कोशिश की थी कि आने वाली प्रतियोगिताओं पर ध्यान दूं और अपने आप को तैयार करना शुरू करूं। सभी ने साथ दिया और मैं अच्छे से रिकवर हो पाया। मेरे दिमाग में था कि ओलंपिक में अपना बेस्ट करने की कोशिश करनी है लेकिन जब तक आखिरी थ्रो तक गोल्ड फाइनल नहीं हो गया तब तक मैंने दिमाग को रिलैक्स नहीं किया। बाकी थ्रोअर काफी अच्छे थे।
बता दें कि नीरज चोपड़ा ने यू ट्यूब पर जान ज़ेलेज़्नी की वीडियो देखते हुए भाला फेंकने की बेसिक तकनीक सीखी थी। यह नीरज के शुरुआती दिनों की बात थी जब वह जान ज़ेलेज़्नी की वीडियो देखा करते थे और अपनी तकनीक को उसी के हिसाब से डालने की कोशिश करते थे।