नई दिल्ली। कुरूक्षेत्र का मैदान अब राजनीतिक जंग में बदल चुका है । गुरुग्राम के नहीं बल्कि हरियाणा भर के राजनीतिक गुरु आमने सामने डटे हैं महाभारत की तरह ! आइये देखते हैं और मुझे संजय की भूमिका में सहर्ष स्वीकार कीजिये ! वैसे महाभारत के और चरित्र भी इसमें देख सकते हैं, जैसे भीष्म पितामह आप मनोहर लाल खट्टर जी को मान लें ! पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को गुरु द्रोणाचार्य मान सकते हैं।
लोकसभा चुनाव के बीच अचानक इक नया मोड़ आ गया और राजनीतिक गलियारों में यह सवाल कि क्या होगा हरियाणा सरकार का ? तीन निर्दलीय विधायकों द्वारा नायब सिंह सैनी की सरकार से समर्थन वापस लेने से यह संकट आ खड़ा हुआ है । इससे विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया है । जजपा नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि नैतिक आधार पर नायब सिंह सैनी को इस्तीफा देना चाहिए और जजपा व इनेलो ने राज्यपाल को इस सारी स्थिति के बारे में पत्र लिखकर फ्लोर टेस्ट करवाने की मांग की है । जजपा ने अपने तीन विधायकों की पार्टी विरोधी गतिविधियों के बारे में जानकारी देते स्पीकर के माध्यम से नोटिस भी दिया है । दूसरी तरफ कांग्रेस ने राज्यपाल से मिलने का समय मांगा है । इस बीच जजपा के चार विधायक पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात के लिए पानीपत पहुंच गये, जिससे जजपा की फूट जगजाहिर हो गयी ! इन विधायकों में पूर्व मंत्री देवेंद्र बबली, जोगीराम सिहाग, रामनिवास सूरजाखेड़ा और रामकरण काला शामिल थे। इस तरह केसे जजपा अपने दस के दस विधायकों को फ्लोर टेस्ट में विपक्ष की भूमिका निभाने को कह सकेंगे? जजपा के विधायक देवेंद्र बबली तो यहां तक कह रहे हैं कि हम विधायक हैं, बंधुआ मज़दूर नहीं हैं ! यह भी कहते हैं कि दुष्यंत चौटाला सिर्फ बयानों से सरकार गिरा रहे हैं जबकि हमसे कुछ नहीं पूछा । हम तो स्थिति के हिसाब से फैसला लेंगे ! इसी तरह गुहला चीका विधायक ईश्वर सिंह भी यही कह रहे हैं कि समय आने पर फैसला लेंगे, अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी !
इस तरह यह साफ है कि इन चारों का समर्थन जजपा को नहीं मिलने वाला ! सिर्फ चार विधायक बच रहे हैं, उनमें भी दो तो मां नैना चौटाला व बेटा दुष्यंत चौटाला ही हैं जबकि रामकुमार गौतम कह रहे हैं कि किसी पार्टी के साथ जाने पर समय आने पर पत्ते खोलूंगा । कहीं अंतिम समय तक मां बेटा ही न रह जायें, जैसे कभी हजकां के कुलदीप बिश्नोई व रेणुका बिश्नोई ही बच जाते थे यानी हम दो ही काफी ? अब जजपा का क्या भविष्य है ? फिर तो पूर्व मुख्यमंत्री व अब मुख्यमंत्री का अति विश्वास सही कहा जायेगा कि हरियाणा सरकार कहीं नहीं जाने वाली ! क्या यह सही बात है? इसीलिए तो मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी तंज कस रहे हैं कि यह तो सबने देख लिया कि दुष्यंत चौटाला के साथ कितने विधायक हैं ! उन्होंने यह भी कह डाला कि ये लोग मुंगेरीलाल के हसीन सपने देख रहे हैं ! जनता ने इन्हें नकार दिया है ! पू्र्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर चुनौती देते कहते हैं कि हमारी सरकार पूरी तरह मजबूत है। दुष्यंत चौटाला को जो करना है, कर ले !
इस तरह हरियाणा सरकार गिराने या बचाने का खेल आईपीएल के किसी मैच की तरह बहुत रोचक और रोमांचक स्थिति में पहुंच गया है। कोई नहीं कह सकता कि आखिरी समय तक कौन सरकार गिरायेगा या कौन बचाने में सफल रहेगा ? अब निर्दलीय विधायकों के साथ साथ जजपा से नाराज विधायकों की चांदी ही चांदी है ! यही राजनीति है, यही राजनीति का महाभारत है, जिसमें अपने ही अपनों पर वार करते हैं ! कौन बचेगा इस महाभारत से ?
हरियाणा का राजनीतिक महाभारत
हरियाणा का महाभारत से बहुत सीधा संबंध है और तभी तो कहते हैं हरि का आना, जहाँ, वही हरियाणा ! महाभारत के अवशेष और अनेक गाथायें आज भी हरियाणा से जुड़ी हैं।