काशी तमिल संगमम में मनाया गया भारतीय भाषा उत्सव, 12 भाषाओं में किया गया कविता पाठ, गायन व मंत्रोच्चारण

सुब्रमण्य भारती के परिवार का किया गया अभिनंदन, डॉ. जयंती मुरली ने प्रस्तुत किया महाकवि भरतियार का गीत।  सूचना और प्रसारण तथा खेल एवं युवा मामलों के मंत्री अनुराग ठाकुर रहे कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, मणिपुर व पश्चिम बंगाल के माननीय राज्यपाल एल. गणेशन तथा मत्स्य, पशुपालन व सूचना प्रसारण राज्य मंत्री, भारत सरकार, डॉ. एल. मुरुगन भी रहे उपस्थित।  कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने की कार्यक्रम की अध्यक्षता।

वाराणसी।  भारतीय भाषा दिवस के अवसर पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में देश की सांस्कृतिक व भाषाई विविधता की समृद्ध झलक एक स्थान पर देखने को मिली। महाकवि सुब्रमण्य भारती की जयंती के अवसर पर भारतीय भाषा दिवस मनाया जा रहा है, जिसके तहत विश्वविद्यालय के एम्फिथियेटर मैदान में काशी तमिल संगमम के अंतर्गत भारतीय भाषा आयोजित किया गया। कार्यक्रम में सूचना और प्रसारण तथा खेल एवं युवा मामलों के मंत्री, भारत सरकार, श्री अनुराग ठाकुर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। अपने संबोधन में श्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि काशी तमिल संगमम के रूप में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने एक ऐसा महान कार्य किया है, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। उन्होंने कहा कि आज दो महान व प्राचीन संस्कृतियों के लोग एक स्थान पर एक दूसरे को और बेहतर ढंग से जान रहे हैं, आपस में संवाद कर रहे हैं व अपने प्राचीन संबंधों को फिर से जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रयास व संवाद सिर्फ एक महीने के इस आयोजन तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसकी निरन्तरता बरकरार रखनी होगी। उन्होंने कहा कि काशी और तमिलनाडु का हज़ारों वर्ष पुराना संबंध है, जिसके उत्सव को काशी तमिल संगमम के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि महाकवि भरतियार के दर्शन में भारत की झलक दिखती है, इसलिए उनके दर्शन को जाने बिना भारत को जानना संभव नहीं है। श्री अनुराग ठाकुर ने कार्यक्रम के अद्भुत आयोजन के लिए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की सराहना की। काशीवासियों के आतिथ्य के लिए उनका आभार जताते हुए उन्होंने उम्मीद जताई इस संगमम के दौरान काशी में 2500 लोग आए हैं, और ये संख्या बढ़कर 25000 और फिर उससे भी अधिक तक जाएगी।

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विशिष्ट अतिथि मणिपुर व पश्चिम बंगाल के माननीय राज्यपाल श्री. एल. गणेशन ने काशी और तमिलनाडु के गहरे संबंधों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में उम्रदराज़ लोगों से अगर ये पूछा जाए कि वे कहां की यात्रा करना चाहते हैं, तो उनका जवाब काशी होगा, यह काशी और तमिलनाडु के आत्मीय जुड़ाव का परिचायक है। उन्होंने कहा कि सुब्रमण्य भारती के कार्य में हमें भारत की विविधता में एकता दिखाई देती है। यह जताता है कि भारती हमारे देश को कितनी गहराई तक समझते थे, जो उनके विचारों व लेखन में परिलक्षित होता है।

विशिष्ट अतिथि मत्स्य व पशुपालन तथा सूचना व प्रसारण राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन ने कहा कि काशी और तमिलनाडु के संबंधों का काशी तमिल संगमम के रूप में अद्भुत प्रकटीकरण हो रहा है। उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का आभार जताया कि उनकी पहल पर यह आयोजन देश के भौगोलिक रूप से भिन्न भागों के लोगों को एकता व एकात्मता के सूत्र में पिरो रहा है। उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में सुब्रमण्य भारती पीठ स्थापित करने के प्रधानमंत्री के निर्णय के लिए उन्हे साधुवाद दिया।

कार्यक्रम में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने कहा कि काशी तमिल संगमम के आयोजन संस्थान का अवसर मिलना विश्वविद्यालय परिवार के लिए अत्यंत गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय एक विशिष्ट संस्थान है जो अपनी स्थापना के समय से ही राष्ट्र निर्माण में योगदान देता आ रहा है। उन्होंने कहा कि महामना द्वारा स्थापित यह विश्वविद्यालय उनकी दृष्टि के अनुरूप राष्ट्र निर्माण के लिए ऐसे नागरिक तैयार करता है, जो भारतीय मूल्यों व परंपराओं पर आगे बढ़ते हुए आधुनिक शिक्षा व ज्ञान भी अर्जित करते हैं। प्रो. जैन ने कहा कि 100 से भी अधिक वर्ष पूर्व जिस विचार के साथ महामना ने यह संस्थान खड़ा किया था, आज वही विचार राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी दिखता है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की महानता तथ विशिष्टता का ज़िक्र करते हुए कुलपति जी ने कहा कि कोई भी क्षेत्र व विषय ऐसा नहीं है, जिसकी शिक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में न मिलती हो, और जहां विश्वविद्यालय के पुराछात्रों ने नाम न कमाया हो।

स्वागत संबोधन देते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में स्थापित महाकवि सुब्रमण्य भारती पीठ के समन्वयक प्रो. ए. गंगाधरन ने कहा कि यह पीठ भरतियार के दर्शन को विभिन्न शैक्षणिक गतिविधियों के माध्यम से अधिक से अधिक संस्थानों व लोगों तक पंहुचाएगी।  

कार्यक्रम में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा भारत की 12 भाषाओं में प्रस्तुतियां दी गईं, जिसमें कविता पाठ, लोक गायन, मंत्रोच्चारण व लोकनृत्य आदि शामिल रहा। इनमें कंकणा गोस्वामी द्वारा संस्कृत में कार्तिकेय अष्टकम से स्तोत्रम का वाचन, पोनरामलिंगम द्वारा सुब्रमण्य भारती की कविता का तमिल में वाचन, आलोक कुमार बौद्ध व समूह द्वारा पाली भाषा में तृप्तका उच्चारण, त्सेवांग लामों तथा समूह द्वारा लद्दाखी पारम्परिक गीत, वी. श्रावणी श्रीदेवी द्वारा तेलुगु में त्यागराज कीर्तन, सुप्रिया मिश्रा तथा मधु द्वारा हिन्दी के प्रख्यात कवि माखनलाल चतुर्वेदी की कविता, क्रिस्टीना दारजी तथा समूह द्वारा नेपाली लोक नृत्य, शिबानी मंडल द्वारा बंगाली में मल्लिका सेंगता की कविता, उत्कर्ष रटाते द्वारा मराठी में संत ज्ञानेश्वर का पासायदन, अब्दुल रहमान द्वारा नज़ीर बनारसी की नज़्म, रिमि सरकार द्वारा भूपेन हज़ारिका का गीत, तथा विशु एम. व समूह द्वारा मलयालम गीतों की प्रस्तुति की गई। विविध भाषाओं में इन प्रस्तुतियों ने उपस्थित जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया।

सुब्रमण्य भारती जी की पोती डॉ. जयंती मुरली ने महाकवि भरतियार का गीत प्रस्तुत किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि व अन्य विशिष्ट अतिथियों द्वारा सुब्रमण्य भारती जी के परिवार का अभिनंदन किया गया।

कार्यक्रम का संचालन संस्कृत विभाग, कला संकाय, की डॉ. सिद्धिदात्री भारद्वाज ने किया। धन्यवाद ज्ञापन हिन्दी विभाग, कला संकाय, के प्रो. राजकुमार ने प्रेषित किया। संगीत एवं मंच कला संकाय के विद्यार्थियों द्वारा कुलगीत प्रस्तुत किया गया।