नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) क्या देश की आन-बान-शान तिरंगा (Tiranga) का अपमान कर रहे हैं ? उनके द्वारा प्रयोग किए जा रहे तिरंगा में निर्धारित मानकों का प्रयोग नहीं किया गया है ? ऐसे ही सवाल केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल (Prahlad Singh Patel) ने उठाए हैं और इस संदर्भ में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित दिल्ली के उपराज्यपाल को पत्र (Letter to LG Delhi) भी लिखा है।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री प्रह्लाद पटेल ने कहा है कि मैं कुछ दिन से अरविंद केजरीवाल की प्रेस कांफ्रेंस देख रहा था, उनके पीछे लगे 2 ध्वज (Tiranga) में सफेद रंग पर हरी पट्टियां बढ़ाई गई हैं। मैंने इसके लिए अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा है, मैंने उपराज्यपाल को भी पत्र की कॉपी पहुंचाई है।
बता दें कि केवल खादी या हाथ से काता गया कपड़ा ही झंडे के लिए उपयुक्त माना जाता है। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (B.E.S.) द्वारा राष्ट्रध्वज को तैयार करने के तीन दस्तावेज जारी किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि सभी झंडे खादी के सिल्क या कॉटन के होंगे। झंडे बनाने का मानक 1968 में तय किया गया जिसे 2008 में पुन: संशोधित किया गया। तिरंगे (Tiranga) के लिए नौ स्टैंडर्ड (मानक) साइज तय किए गए हैं। सबसे बड़ा झंडा 21 फीट लंबा और 14 फीट चौड़ा होता है। ग्वालियर देश का ऐसा शहर है जो तिरंगा बनाने के लिए केंद्र सरकार से अधिकृत है। इसके साथ केवल मुंबई और कर्नाटक के हुबली को ही यह गौरव हासिल है। यहां तिरंगों का मानकों पर परीक्षण और प्रमाणन होता है
असल में, केंद्रीय मंत्री ने जिस मसले की ओर ध्यान दिलाया है, वह बेहद गंभीर है। तिरंगे के साथ छेडछाड करने की इजाजत किसी को नहीं है। यदि इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दोषी पाए जाते हैं, तो मामला संगीन हो सकता है। और तो और, हर बात पर जिस प्रकार से सोशल मीडिया पर लोग राजनीति और बयानबाजी करते हैं, वह भी गरमा सकता है।