इस आशा कार्यकर्ता को जानते हैं, जिन्हें शामिल किया गया है कि फोर्ब्स इंडिया डब्ल्यू-पावर 2021 सूची में

मतिल्‍दा को गांव में इसलिए भी अध‍िक संघर्ष करना पड़ा क्‍योंकि उस दौर में लोग इलाज के लिए अस्‍पताल जाने की बजाय काले जादू का सहारा लेते थे। मतिल्‍दा के प्रयास से ही गांव में काले जादू जैसे सामाजिक अभिशाप को जड़ से खत्‍म किया जा सका।


नई दिल्ली।
फोर्ब्स इंडिया डब्ल्यू-पावर 2021 सूची में यदि किसी का नाम शामिल किया जाता है, तो उसे गर्व होता है। ऐसे में जब ओडिशा के एक आशा कार्यकर्ता का नाम इसमें शामिल किया गया है, तो यह पूरे राज्य साथ ही देश के लिए गौरव की बात है। ओडिशा के सुंदरगढ़ ज़िले की 45 वर्षीय आशा कार्यकर्ता मतिल्दा कुल्लू का नाम फोर्ब्स इंडिया डब्ल्यू-पावर 2021 सूची में शामिल किया गया है।
इस उपलब्धि के बाद मीडिया से बात करते हुए आशा कार्यकता्र मतिल्दा कुल्लू ने बताया कि मैं घर का सारा काम खत्म करके फील्ड में निकल जाती हूं। मैं पहले से तय करती हूं कि आज कौन-से इलाके में जाऊंगी। कोरोना के समय लोगों का ध्यान रखना सबसे ज़्यादा कठिन था, लोगों को समझाना पड़ता था कि कैसे दूरी बनाकर रखनी है। लक्षण पता चलने पर लोगों को टेस्टिंग के लिए जबरदस्ती भेजना पड़ता था। हमें अभी 4,750 रुपये मिलते हैं, अगर काम हो तो इंसेंटिव मिलाकर 5,000-6,000 तक आ जाते हैं।


मतिल्‍दा के दिन की शुरुआत सुबह 5 बजे से होती है। मवेश‍ियों की देखभाल और घर का चूल्‍हा-चौका संभालने के बाद गांव के लोगों को सेहतमंद रखने के लिए घर से निकल पड़ती हैं। मतिल्‍दा साइकिल से गांव के कोने-कोने में पहुंचती हैं।