मुंबई। ‘संसार माया का प्रारूप है। जीव यहां अपना-अपना कार्य सिद्धि के लिए आते हैं और कार्य पूरा होते ही नश्वर संसार को छोड़कर चले जाते हैं। किन्तु, आत्मा कभी मरती नहीं, वह तो केवल शरीर बदलती है। भगवद गीता में वर्णित ये तथ्य जितना सत्य है उतना ही सनातन की ये मान्यता भी अटूट है कि व्यक्ति अगर अधूरी इच्छाएं लेकर दुनिया छोड़ता है तो उसे अपना कार्य पूरा करने के लिए फिर से धरती पर आना ही पड़ता है। मेरी इच्छा है नितिन देसाई तुम लौट आओ, अपने सपने और अधूरे कार्यों को पूरा करो। फ़िल्म जगत को तुम्हारी बहुत जरूरत है।’
ये उदगार प्रसिद्ध अभिनेता और संस्कार भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री नितीश भारद्वाज जी ने स्वर्गीय नितिन देसाई को याद करते हुए व्यक्त किये ।
संस्कार भारती कोकण प्रांत की चित्रपट शाखा,’चित्रपट आयाम’ने गत दिनों सिने जगत के मशहूर कला निर्देशक और प्रोडक्शन डिजाइनर नितिन चंद्रकांत देसाई की याद में एक शोक सभा का आयोजन किया। इस मौके पर बोलते हुए श्री भारद्वाज ने श्री नितिन देसाई को श्रद्धां सुमन अर्पित किये।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ कोकण प्रांत के संघ चालक डॉ. सतीश जी मोढ ने नितिन जी के कार्यों को याद करते हुए परिवार के प्रति गहरी संवेदना प्रकट की।
दादा साहब फाल्के चित्र नगरी मुंबई के व्हिस्टलिंग वुड में आयोजित इस शोक सभा में निर्माता निर्देशक सुभाष घई, अब्बास-मस्तान, हास्य अभिनेता सुनील पाल, अभिनेता नील नितिन मुकेश और गुरुमीत चौधरी समेत सिने और कला जगत की कई बड़ी हस्तियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।
बताते चलें, श्री नितिन चंद्रकांत देसाई का 2 अगस्त 2003 को दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से अपने बनाये एनडी स्टूडियो, कर्जत में निधन हो गया।
श्री देसाई का जन्म 9 अगस्त 1965 को मुलुंड में हुआ। उन्होंने मराठी माध्यम में वामनराव मुरंजन हाई स्कूल, मुलुंड से पढ़ाई की। इसके बाद मुंबई के जेजे स्कूल ऑफ आर्ट और एल.एस.राहेजा स्कूल ऑफ आर्ट्स में फोटोग्राफी का अध्ययन किया।
श्री देसाई को चार बार सर्वश्रेष्ठ कला निर्देशन के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार- डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर (1999)
हम दिल दे चुके सनम (2000), लगान(2002),
देवदास(2003) और तीन बार सर्वश्रेष्ठ कला निर्देशन का फिल्मफेयर पुरस्कार- 1942: एक प्रेम कहानी (1995),
खामोशी (1997), देवदास(2003) प्रदान किया गया है। 2005 में, उन्होंने मुंबई के पास कर्जत, नवी मुंबई में 52 एकड़ (21 हेक्टेयर) में विश्व स्तरीय सुविधा से युक्त एनडी स्टूडियो का निर्माण किया। इसमें जोधा अकबर , ट्रैफिक सिग्नल और कलर के रियलिटी शो बिग बॉस जैसी फिल्मों की शूटिंग हुई है।
एक कला निर्देशक के रूप में श्री देसाई का अधिकांश सफल काम पीरियड फिल्मों में था। सर्वश्रेष्ठ कला निर्देशन के लिए उनके सभी चार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार पीरियड फिल्मों के लिए ही मिले।
2009 में दादा साहब फाल्के के जीवन पर आधारित मराठी फ़िल्म हरिश्चंद्राची फैक्ट्री के लिए श्री देसाई को महाराष्ट्र राज्य फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। बहुमुखी प्रतिभा के धनी नितिन देसाई ने फ़िल्म निर्माता-निर्देशक और अभिनेता के तौर पर भी सिने जगत को अपनी सेवाएं दी।
शोक सभा में संस्कार भारती कोकण प्रांत के उपाध्यक्ष और चित्रपट विधा प्रमुख अरुण शेखर ने भी शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी संवेदना प्रकट की। इस मौके परराष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत सम्पर्क मंडल के कला श्रेणी प्रमुख श्री योगेश कुलकर्णी, संस्कार भारती के वरिष्ठ पदाधिकारी सर्वश्री संजय गोडसे, सुरेन्द्र कुलकर्णी, पवन वर्मा, चित्रपट विधा संयोजक श्री जगदीश निषाद के साथ ही नंद किशोर पंत, राजेश रमण, अजीत गौड़, तन्मय जागीरदार, सजल खरे, कृष्णा उपाध्याय ने भी श्री देसाई को श्रद्धापूर्वक नमन किया।