माहे रमजान शुरू, बाजार में है पूरी रौनक

रमजान के मुकद्दस महीने में मुस्लिम समुदाय के तमाम लोग सच्चाई और अच्छाई के मार्ग पर चलने का प्रयास करते हैं। रोजा हमें आत्मसंयम, बलिदान, आपस में प्रेम और भाईचारा, धर्म से ऊपर उठकर मानवता की सेवा, गरीबों या जरूरतमंदों के लिए दान, सहानुभूति, सांसारिक चीजों से अलगाव और अल्लाह से निकटता आदि का पाठ पढ़ाता है।

नई दिल्ली। भारत में इबादत और बरकत के पाक महीने रमजान का चांद दिख गया है। लोगों ने अपने घरों के छत से चांद का दीदार किया, साथ ही एक-दूसरे को मुबारकबाद दी। इस्लाम धर्म के मुताबिक रमजान मुस्लिम समुदाय पाक महीना कहा जाता है, जिसमे सभी मुस्लिम परिवार अल्लाह की इबादत करते हैं रोजे रखते हैं। उलेमाओं के मुताबिक रमजान का मुकद्दस महीना रोजा (उपवास) इबादत, गुनाहों से माफी, दुआओं के मुकम्मल और हर तरह की बुराइयों से बचने के साथ आत्मनिरीक्षण का महीना है। इस महीने में इबादत का सवाब 70 गुना बढ़ जाता है। अल्लाह रोजेदारों के गुनाह माफ करते हैं और उनकी दुआएं कुबूल की जाती हैं।

बता दें कि 03 अप्रैल से पहले रोजे की शुरुआत हो रही हैं। हर बार साल में एक महीना रमजान का होता है जिसमें लोग इस्लामिक तौर-तरीके के हिसाब से चलते हैं और इबादत में मशरूफ रहते हैं। बताया जाता है कि रमजान के पाक महीने की शुरुआत सउदी के मक्का से हुई थी। रमजान के आखिर में रोजे के बाद ईद यानी ईद-उल-फितर होता है जो कि मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा पर्व होता है।

मस्जिदों में पांच वक्त की नमाज, इफ्तार और रात को विशेष रूप से अदा की जाने वाली नमाज ए तरावीह में बड़ी संख्या में रोजेदारों के मौजूद रहने की उम्मीद है। इबादत, रहमत, मगफिरत और बरकत का यह मुकद्दस महीना इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना है। इस्लामिक कैलेंडर में चांद के अनुसार महीने के दिन गिने जाते हैं, जो 30 या 29 दिन के होते हैं।