वाराणसी। सयाजी रॉव गायकवाड़ सेंट्रल लाइब्रेरी बनारस हिंदु विश्वविद्यालय की सेंट्रल लाइब्रेरी है। यह भारत की सबसे विशाल और आलीशान लाइब्रेरी है। इस लाइब्रेरी के बनने की कथा भी दिलचस्प है। सन् 1917 में प्रो. पी. के. तेलांग ने अपने स्व. पिता जज के. टी. तेलांग की याद में बेशकीमती पुस्तकें लाइब्रेरी को भेंट की थीं। तब यह लाइब्रेरी तेलांग हॉल, सेंट्रल हिंदू कॉलेज कामछा में हुआ करती थी। सन् 1921 में इसका स्थान बदलकर इसे आर्ट्स कॉलेज के सेंट्रल हॉल में स्थापित किया गया। सन् 1931 में जब बीएचयू के संस्थापक श्री मदन मोहन मालवीय जी लंदन से राउंड टेबल कांफ्रेंस में भाग लेकर भारत लौटे, तब उन्होंने इस लाइब्रेरी के आलीशान गोलाकार सेंट्रल हॉल का निर्माण करवाया, जो कि बर्मा टीक की लकड़ी से बनाया गया। इसे बनाने में बड़ौदा के महाराजा साया जी रॉव गायकवाड़ ने आर्थिक मदद की। उन्हीं के नाम पर लाइब्रेरी का नाम भी पड़ा। इसे लंदन की ब्रिटिश म्यूजियम लाइब्रेरी का प्रतिरूप बनाया गया।
शुरू में पुस्तकों का संग्रह दान स्वरूप में हुआ और देखते-देखते यहां कई शानदार पुस्तकों का संग्रह हो गया। देश भर से विख्यात लोगों ने अपने पारिवारिक संग्रह लाइब्रेरी को भेंट किए। सन् 1931 में ही यहां 60,000 पुस्तकों का संग्रह हो चुका था। इसलिए आज यहां आपको 14-16वीं सदी की पांडुलिपियां, ताड़पत्र, 18वीं शताब्दी के दुर्लभ अभिलेख आसानी से मिल जाते हैं।
वर्तमान में संग्रहालय के संग्रही डी. के. सिंह और डिप्टी संग्रही श्री विवेकानंद जैन हैं। जिन्होंने बीएचयू में पढ़ाई नहीं की है, उनके लिए यह जानकारी थोड़ी रोचक हो सकती है। जब आप इस लाइब्रेरी के अंदर कदम रखते हैं तब इसकी भव्य गोलाकार वास्तुकला को देखकर अचंभित हो जाते हैं। आज भी बर्मा टीक से बने पुस्तकालय के आलमीरा यकायक अपनी ओर ध्यान आकृष्ट करते हैं और इनका रखरखाव बहुत ही अच्छा है। विश्वविद्यालय के हजारों छात्रा-छात्राएं यहां बैठकर पढ़ाई करते हैं और मालवीय जी का सपना (विद्यालय शिक्षा का मंदिर है) साकार करते नजर आते हैं।
सूर्यपुत्री रश्मि मल्होत्रा का कहना है कि मैंने वहां ओम की संपादक के रूप में अपनी टीम के साथ डी. के. जैन जी से मुलाकात की। उन्होंने वर्तमान एवं भविष्य की चुनौतियों की तैयारियों के बारे में बताते हुए कहा कि सेंट्रल लाइब्रेरी ने खासतौरसे दृष्टिबाध्ति विद्यार्थियों के लिए डिजिटल पाठ्यक्रम तैयार किया। पूरे देश में केवल बनारस हिंदु विश्वद्यिालय द्वारा यह कार्य किया जा रहा है। लाइब्रेरी में आकर विद्यार्थी अपनी पेनड्राइव में नि:शुल्क डेटा ले जाते हैं। उनकी मदद के लिए वहां कई कंप्यूटर कर्मचारी हैं, जो उनकी सहायता करते हैं। जिन विद्यार्थियों ने बीएचयू में दाखिला ले लिया है, वे ही इस कार्यक्रम का लाभ उठा सकते हैं। आज कई ऐसे दृष्टिबाधित हैं जो पहले यहां विद्यार्थी थे और आज बाहर कार्यालयों में काम कर अपनी आजीविका सहर्ष और सहजता से चला रहे हैं। ऑनलाइन स्टडी के दौर में विद्यार्थियों को लाइब्रेरी में रोके रखना बड़ी चुनौती है, लेकिन बीएचयू की सेंट्रल लाइब्रेरी इसे बखूबी निभा रहा है।