ममता बनर्जी ने किया मंत्रिमंडल विस्तार, 43 मंत्रियों ने ली शपथ

राजभवन में कोविड गाइडलाइन्स का पालन करते हुए बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने सभी कैबिनेट मंत्रियों, स्वतंत्र प्रभार, राज्य मंत्रियों को शपथ दिलवाई गई। ममता बनर्जी ने शपथ लेकर कामकाज भी संभाल लिया है, लेकिन उनके मंत्रिमंडल ने आज शपथ ली है।

कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banajree) ने अपने मंत्रिमंडल (Cabinet of West Bengal) का विस्तार किया। सोमवार को राजभवन में राज्यपाल जगदीप धनखड ने 43 मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।  राजभवन में कोविड गाइडलाइन्स का पालन करते हुए बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Governor Jagdeep Dhankhad) ने सभी कैबिनेट मंत्रियों, स्वतंत्र प्रभार, राज्य मंत्रियों को शपथ दिलवाई गई। वहीं तीन मंत्रियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शपथ ग्रहण की। मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान ममता बनर्जी भी यहां पर मौजूद रहीं।

अब ममता बनर्जी (Mamta Banarejee) के सरकार की सबसे बडी चुनौती जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने की होगी। जिस प्रकार से विधानसभा चुनाव में उन्हें प्रचंड बहुमत मिला है, उससे उन पर काम करने का दबाव भी अधिक होगा। हाल के दिनों में राज्य की कानून व्यवस्था की बिगडती हालात पर विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) हमलवार है। इससे निबटना भी इस सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड (Governor Jagdeep Dhankhad) ने कहा कि लोकतंत्र में लोगों ने वोट करने का फैसला किया इसलिए उन्हें अपनी ज़िदगी और मानव अधिकारों की कीमत चुकानी पड़ रही है। अगर आपका वोट आपकी मौत, संपत्ति की तोड़-फोड़ और लूट का कारण बनता है तो ये लोकतंत्र का अंत है।

विशेष कार्याधिकारी (संचार), राजभवन द्वारा जारी बयान में कहा गया है, राज्यपाल कानून के संदर्भ में मंजूरी प्रदान करने के लिए सक्षम प्राधिकारी हैं, क्योंकि वे संविधान के अनुच्छेद 164 के संदर्भ में ऐसे मंत्रियों की नियुक्ति प्राधिकारी हैं। राज्यपाल ने संविधान के अनुच्छेद 163 और 164 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया, क्योंकि वह इस तरह की मंजूरी के लिए सक्षम प्राधिकारी हैं। ये चारों 2014 में तब ममता बनर्जी कैबिनेट में मंत्री थे जब टेप कथित तौर पर बनाए गए थे। हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में हकीम, मुखर्जी और मित्रा तृणमूल कांग्रेस के फिर से विधायक चुने गए हैं, जबकि भाजपा में शामिल होने के लिए टीएमसी छोड़ चुके चटर्जी ने दोनों पार्टियों के साथ संबंध तोड़ लिए हैं।