MP News : इंदौर जिले को जल संरक्षण एवं जल के पुनरुपयोग कार्यों के लिए मिला प्रथम पुरुस्कार

जल शक्ति मंत्रालय ने 2018 में पहला राष्ट्रीय जल पुरस्कार शुरू किया था। राष्ट्रीय जल पुरस्कारों ने स्टार्ट-अप के साथ-साथ प्रमुख संगठनों को वरिष्ठ नीति निर्माताओं के साथ जुड़ने और इस बात पर विचार-विमर्श करने का एक अच्छा अवसर प्रदान किया है कि कैसे सर्वोत्तम जल संसाधन प्रबंधन प्रणालियों को अपनाया जाए।

नई दिल्ली। जल संसाधन विभाग, भारत सरकार द्वारा घोषित ‘तृतीय राष्ट्रीय जल पुरुस्कार’ में पश्चिमी जोन के अंतर्गत इंदौर जिले को जल संरक्षण एवं जल के पुनरुपयोग कार्यों के लिए मिला “प्रथम पुरुस्कार”। इंदौर जिले के ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्र में जल संरक्षण एवं जल के पुनरुपयोग सम्बन्धी किये गए उत्कृष्ट कार्यों की केंद्रीय अवलोकन टीम द्वारा सराहना की गयी एवं ‘तृतीय राष्ट्रीय जल पुरुस्कार’ पुरुस्कार के लिए चयनित किया गया।

जल संरक्षण एवं जल के पुनरुपयोग के उद्देश्य से इंदौर जिले के महू तहसील के दुर्जनपुरा और यशवंत नगर में ग्राम पंचायत के माध्यम से रिजलाईन एवं ड्रेनेज लाईन ट्रीटमेंट का प्रभावशाली एवं प्रशंसनीय कार्य किया गया। वर्ष 2019 में चोरल नदी पुनर्जीवन के लिए प्रथम पुरुस्कार प्राप्त करने के बाद 3 वर्षों के भीतर, 2022 में मध्यप्रदेश द्वारा एक और ‘राष्ट्रिय सम्मान’ प्राप्त करना हर प्रदेशवासी के लिए गौरव की बात है।

बता दें कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने तीसरे राष्ट्रीय जल पुरस्कार-2020 की घोषणा की। सर्वश्रेष्ठ राज्य श्रेणी में, उत्तर प्रदेश को प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। राजस्थान को द्वितीय और तमिलनाडु को तृतीय पुरस्कार मिला है। इस अवसर पर डीडीडब्ल्यूएस की सचिव सुश्री विनी महाजन भी उपस्थित थीं।इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री शेखावत ने कहा कि जल जीवन का मूल है। भारत में पानी की वर्तमान आवश्यकता प्रति वर्ष लगभग 1,100 बिलियन क्यूबिक मीटर अनुमानित है, जिसके वर्ष 2050 तक 1,447 बिलियन क्यूबिक मीटर तक बढ़ जाने का अनुमान है। एक संसाधन के रूप में पानी भारत के लिए महत्वपूर्ण है, जो दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। भारत में दुनिया की पूरी आबादी का 18% से अधिक लोग रहते हैं, लेकिन इसके पास दुनिया के नवीकरणीय जल संसाधनों का केवल 4% हिस्सा है। जल शक्ति मंत्री ने कहा कि इसी पृष्ठभूमि में सरकार के ‘जल समृद्ध भारत’ के दृष्टिकोण के लक्ष्य को हासिल करने के लिए देश भर में राज्यों, जिलों, व्यक्तियों, संगठनों आदि द्वारा किए गए अनुकरणीय कार्यों और प्रयासों को मान्यता देने और प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय जल पुरस्कार (एनडब्ल्यूए) की स्थापना की गई है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि सतही जल और भूजल जल चक्र का अभिन्न अंग हैं, देश में जल संसाधन प्रबंधन के प्रति समग्र दृष्टिकोण अपनाने के लिए हितधारकों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से एक एकीकृत राष्ट्रीय जल पुरस्कार स्थापित करना आवश्यक समझा गया। श्री शेखावत ने कहा कि इसके अलावा, यह लोगों में पानी के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने और उन्हें जल उपयोग के सर्वोत्तम तरीकों को अपनाने के लिए प्रेरित करने का एक प्रयास है।