अब माता-पिता नहीं कर पाएंगे 21 साल से पहले बेटी की शादी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले के प्राचीर से कहा था कि उन्हें देश की बेटियों की चिंता है। कम उम्र में शादी नहीं की जा सकती है। उसी को केंद्रीय कैबिनेट ने अपनी मुहर लगा दी है। संसद में इस बिल को लाया जाएगा और यह कानूनी रूप से बाध्य कर दिया जाएगा कि कोई भी 21 साल से पहले अपने घर की बेटी की शादी नहीं करवा सकता है।

नई दिल्ली। लड़कियों की सेहत और अन्य चीजों पर गौर करने के बाद सरकार ने इस बात पर सहमति जताई है कि अब लड़कियों के शादी के लिए न्यूनतम उम्र 18 नहीं 21 वर्ष होगी। यानी अब कोई भी माता-पिता और अभिभावक अपने घर की बेटियों को कानूनी रूप से 21 साल से पहले शादी नहीं करवा सकते हैं। मौजूदा कानून के मुताबिक, देश में पुरुषों की विवाह की न्यूनतम उम्र 21 और महिलाओं की 18 साल है। बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को पास किया गया। केंद्र सरकार मौजूदा कानूनों में संशोधन के लिए संसद में प्रस्ताव पेश करेगी।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2020 को लाल किले से अपने संबोधन में लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल करने का उल्लेख किया था। उन्होंने कहा था कि बेटियों को कुपोषण से बचाने के लिए जरूरी है कि उनकी शादी उचित समय पर हो। विवाह में देरी का परिवारों, महिलाओं, बच्चों और समाज के आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

कैबिनेट की मंजूरी के बाद सरकार बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 और फिर विशेष विवाह अधिनियम एवं हिंदू विवाह अधिनियम 1955 जैसे निजी कानूनों में संशोधन करेगी। कहा गया है कि दिसंबर 2020 में केंद्र की टास्क फोर्स की प्रमुख जया जेटली ने नीति आयोग को अपनी सिफारिशें सौंपी थीं। टास्क फोर्स का गठन जून 2020 में ‘मातृत्व की उम्र से संबंधित मामलों, मातृ मृत्यु दर को कम करने, पोषण स्तर और संबंधित मुद्दों में सुधार’ के लिए किया गया था। इसमें नीति आयोग के वी के पाल और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और शिक्षा मंत्रालय के सचिव शामिल थे।