अब तमिलों को भी खूब भा रही है प्रकृति वाली स्पेशल मिठाई मलइयो

दीप्ति अंगरीश

काशी में दक्षिण भारतीय व्यंजन नहीं, बल्कि ठेठ बनारसी मिठाई का स्वाद तमिलनाडु के लोगों को भाने लगा है। गुलाब जामुन, गाजर का हलवा और मूंग का हलवा से ऊब चुके हैं, तो स्पेशल मिठाई खाएं। यह स्पेशल, सर्दी वाली मिठाई  है मलइयो। बीते साल कइयों ने इसे चखा और तमिलनाडु जाकर अपने लोगों से कहा। अबकि जो भी काशी-तमिल संगमम में आ रहे हैं, दिसंबर के महीने में हर कोई मलइयो का स्वाद ले रहे हैं। इसकारण मलइयो की दुकानों पर खूब भीड़ देखी जा रही है।
दरअसल, जैसे-जैसे सर्दी चरम पर आती है,  वैसे-वैसे जुबान चटोरी होती जाती है। और चटोरी जुबान मीठा खाने को लपलपाती है। इस सर्दी आप पारंपरिक मिठाई मलइयो खाएं।  इसके लिए बनारस आना होगा। बनारस आने की वजह बनेगा काशी तमिल संगमम 2023। यहां  आपको बनारस और काशी के संस्कृतियों को करीब से जानने को मिलेगा। सुबह संगमम में रहिए और शाम को खूब सारा मलाइयो खाएं। बनारसियों को तो पसंद है ही, यहां आने वाले को अपना मुरीद बना रहा है। बीते साल जब पहली बार काशी हिंदू विश्वविद्यालय में काशी तमिल संगमम का आयोजन किया गया, हजारों की संख्या में तमिलों ने मलइयो का स्वाद जाना। इस बार काशी तमिल संगमम में जो भी लोग चेन्नई, कन्याकुमारी, मदुरई आदि शहरों से आ रहे हैं, हर कोई मिठाई दुकान पर मलाइयो खोजता जरूर मिलता है।
 आजकल इसके जबरे फैन हो रहे हैं दक्षिण वाले। आप कब मलाइयो का मीठा स्वाद मुंह में घोल रहे हैं? बनारस की  खासियत है सर्दी की स्पेशल मिठाई मलइयो। मलइयो सिर्फ ठंड के दिनों में मिलती है और मिठाई बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री से इतर इसमें प्रकृति का योगदान है। यानी इसमें ओस की बूंदों का प्रयोग  होता है। यह मिठाई आपको कुल्हड़ में मिलेगी। ओस की बूंदों और दूध के झाग से बनी मलाइयो को बनाया भी अनोखे तरीके से है। चीनी मिले दूध को रातभर ओस में रखने के बाद इससे निकला झाग ही मलइयो होता है। इसे बनाने के लिए कच्चे दूध को रात भर खौलाकर खुले आसमान के नीचे रखते हैं।  फिर सर्दियों में ओस की बूंदों से इसमे झाग पैदा हो जाता है और सुबह इसके केसर, इलायची, दूध, पिस्ता, बादाम आदि ड्राई फ्रूट्स डालकर बड़ी बड़ी मथनी से मथा जाता है। क्यों है ना यह बनारसी साड़ी से मलाइयो एकदम अनोखी।
बता दें कि सिर्फ स्वाद में मलाइयो अनोखा नहीं है सेहत को भी फिट रखता है। ओस की बूंदों में मिनरल्स होते हैं,  जो आंख की रोशनी बढ़ाने के साथ त्वचा के लिए भी फायदेमंद होता है। इसमें बादाम समेत दूसरी मेवा होने के कारण न केवल ये शरीर को गर्मी प्रदान करता है, बल्कि ताकत और स्फूर्ति भी देता है। आमतौर पर द्रविड़ संस्कृति के लोग अपने सेहत को लेकर भी सतर्क होते हैं। उनके खान पान में प्राकृतिक चीजों का बेहद ख्याल रखा जाता है। 
लंका चौक पर पहलवान लस्सी वाले से बात हुई, तो उनका कहना है कि बीते साल से मलइयो की बिक्री खूब हो रही है। मिट्टी के कुल्हड़ में दक्ष्णि भारत के लोगों को मलइयो खूब भा रहा है। पहले कम लोग इसे खाते थे, लेकिन अब तो एक दूसरे को देखकर इसकी बिक्री बढ़ती जा रही है। विदेशी मेहमान भी इसका जायका लेने से खुद को रोक नहीं पाते हैं। आज के समय में यदि आपके पसंद की चीजें 50 रुपये से लेकर 100 रुपये तक मिलती है, तो किसी को दिक्कत नहीं होती है।