Plastic से रिप्रोडक्शन डिस्ऑर्डर का खतरा, बचें इस जहर से

प्लास्टिक रोजमर्रा की जिंदगी में शामल हो गया है। शुरू मे ंतो प्लास्टिक के रंग-बिरंगे कंटनर्स, बॉक्स आदि अच्छे लगते हैं, लेकिन इनका लगातार इस्तेमाल शरीर को कई तरह के इसके साइड इफेक्ट्स से जकड़ लेता है। या यूं कहें कि अनजाने में प्लास्टिक हमें बीमारियों का शिकार बना रहा है। ऐसे में प्लास्टिक के इस्तेमाल से बचना चाहिए पूरी तरह।

नई दिल्ली। Plastic गर्म होने से इस्ट्रोजन टूटते हैं। प्लास्टिक के बर्तन में गर्म खाद्य या पेय पदार्थ का सेवन करने के दौरान इस्ट्रोजन शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इस्ट्रोजेन हार्मोन से युक्त बीपीए अन्य हार्मोन जैसे टेस्टोस्टेरान या एड्रेनलिन के लिए उत्प्रेरक का कार्य करता है। जिससे प्रेग्नेंसी के दौरान तीन महीनों के शिशुओं में आगे चलकर आईक्यू, ब्रेस्ट कैंसर और पुरुष के प्रजनन अंगों पर इसके साइड इफेक्ट हो सकते हैं। इसके अलावा पॉली ब्रामेमियेटेड डाइफेनिल इथर्स जो कि इलेक्ट्रानिक सामानों की प्लास्टिक, पाली यूरेथेन फोम के निर्माण में प्रयुक्त होता है। जिसे जलाने पर हाइड्रोजन क्लोराइड नाइट्रेट गैस निकलती है। इस गैस से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की संभावना रहती है।

Plastic की सूक्ष्म मात्रा गम्भीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं। कुछ सबसे खतरनाक तत्वों में बिस्फेनाल ए और थैलेट्स हैं जो प्लास्टिक में उपयोग होते हैं। इससे मनुष्य के अन्तस्त्रावी प्रणाली, शारीरिक विकास की समस्याएं हो सकती हैं। जिससे मोटापा, मधुमेह, आटिज्म, कंसन्ट्रेशन में कमी, बांझपन, एक्टिवनेस, रेस्पिरेटरी, सेक्सुअल डिजीज और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां उत्पन्न हो सकती हैं।

Plastic से निर्मित बर्तनों में मॉलीक्यूलर पाया जाता है जो पॉलीमर से बनता है। जब हम प्लास्टिक के बर्तनो में कुछ गर्म खाते है या पीते तो ये शरीर के हर सेल में प्रवेश कर जाता है। सेल्स को एजिंग आर्थात् बूढ़े करने लगते है। यह एक तरह से स्लो पॉइजन का काम करता है जो कार्य क्षमता में भी प्रभाव डालते है। और तो औैर ये मेल के स्पर्म और महिलाओं के अडांणु की संख्या और गुणवत्ता में कमी आती है।