पटना। बिहार विधानसभा का सत्र बुलाया गया है और चल नहीं रहा है। सरकार और विपक्ष में कई मुद्दों को लेकर खींचतान जारी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष पर जनविरोधी होने का आरोप लगा रहे हैं, तो नेता प्रतिपक्ष को सदन में बोलने के लिए समय नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में लोकतांत्रिक व्यवस्था का क्या होगा ? राज्य की जनता के मन में यही सवाल है।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमलावर हैं। तेजस्वी यादव का कहना है कि हम सब लोग चाहते हैं कि सदन चले। हमने कल लिखित में भी नियमावली का हवाला देते हुए प्रस्ताव का मौका रखने का मौका मांगा, जो आज सदन में अस्वीकृत किया गया कि आप ऐसे ही बोल लीजिए। विपक्ष के सभी लोग मांग कर रहे हैं कि बहस होनी चाहिए। हां कुछ लोग विधानसभा को अपनी जागीर समझ रखे हैं, जिन्होंने लोकतंत्र की हत्या की है। जब तक उनपर कार्रवाई नहीं होती और जब तक हमें बहस का मौका नहीं मिलता तब तक पूरे विपक्षी दल के लोग इस सत्र में बहिष्कार करेंगे और सदन नहीं जाएंगे।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि 16 वर्षों से सत्ता पर क़ाबिज़ नीतीश-बीजेपी सरकार ने स्वयं स्वीकार किया है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के मामले में बिहार सबसे फिसड्डी है। नीति आयोग की रिपोर्ट भी यही कहती है लेकिन फिर भी नीतीश सरकार शिक्षा व्यवस्था को सुधारने में बिल्कुल भी गंभीर नहीं है।
असल में, विधानसभा में कई मुद्दों पर विपक्ष की ओर से स्थगन प्रस्ताव लाया गया है। कुछ विषयों पर चर्चा करने के लिए कहा गया है। लेकिन, सदन में विपक्षी विधायकों का आरोप है कि सरकार सुनने को तैयार नहीं है।